EVERGREEN के नाम से चल रहीं 2 कंपनियां फरार, निवेशकों के करोड़ों डूबे

नई दिल्ली। उत्तराखंड के बागेश्वर में लखनऊ की दो चिटफंड कंपनियां EVERGREEN MULTI STATE COOPERATIVE SOCIETY LTD और EVERGREEN AGRO MULTI STATE COOPERATIVE SOCIETY LTD स्थानीय निवेशकों के लाखों रुपये लेकर फरार हो गईं। इसका खुलासा होते ही निवेशक भड़क गए। उन्होंने शनिवार को कंपनी के स्थानीय कार्यालय में जमकर हंगामा किया और तोड़फोड़ की कोशिश की। गुस्साए निवेशकों ने कोतवाली का घेराव कर जमा रकम दिलाने की मांग की। 2016 में लखनऊ में पंजीकृत दो गैर बैंकिंग कंपनियों ने बागेश्वर में अपनी शाखा खोली थी। तहसील रोड में दोनों कंपनियों ने अपना कार्यालय बनाया था। लखनऊ निवासी प्रदीप गुप्ता और सिद्धार्थ गुप्ता इन कंपनियों के निदेशक थे।

FD/RD की स्कीम चलाई थी, अच्छो ब्याज का लालच दिया

इन कंपनियों के निदेशकों के मोबाइल नंबर बंद हैं। स्थानीय संचालिका ने पुलिस को बताया कि वह काफी समय से निदेशकों से संपर्क का प्रयास कर रही है, लेकिन संपर्क नहीं हो पा रहा। लखनऊ मुख्य शाखा में ताले पड़ चुके हैं। इन कंपनियों ने यहां स्थानीय एजेंटों के माध्यम से निवेश करवाना शुरू कर दिया। कंपनियों ने एफडी, आरडी और दैनिक जमा की स्कीम चलाई थी। इन योजनाओं के एवज में निवेशकों को बेहतर ब्याज का भरोसा दिया गया था। 

महिला संचालक और एजेंट हिरासत में

अधिक फायदे के फेर में सैकड़ों स्थानीय लोगों ने इन स्कीमों में निवेश किया। शनिवार को निवेशकों को इन कंपनियों के बंद होने की जानकारी मिली तो वे भड़क गए। गुस्साए निवेशक एकजुट होकर कंपनियों की स्थानीय शाखा में पहुंचे और जमा की गई रकम लौटाने की मांग की।
संचालिका के रकम लौटाने में असमर्थता जताने पर निवेशक और भड़क गए। उन्होंने कार्यालय में हंगामा करना शुरू कर दिया। भड़के निवेशक तोड़-फोड़ और अभद्रता पर उतारू हो गए। सूचना पर पुलिस मौके से महिला संचालक और एजेंटों को कोतवाली ले आई। पीछे-पीछे निवेशक भी कोतवाली पहुंचे और प्रभारी कोतवाल का घेराव कर दिया। 

रकम वापसी के लिए 3 माह का मौका दिया

इस दौरान स्थानीय निवासी भावना मर्तोलिया, कैलाश भोटिया, नरेश, कृष्ण कुमार, रोशनी देवी, शांति देवी, दयाल सिंह, खीम पाल, प्रकाश सिंह आदि निवेशकों ने कंपनी के निदेशक और महिला संचालक पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया। इस मामले को लेकर कोतवाली में घंटों तक दोनों पक्षों के बीच बहस होती रही। बाद में पुलिस ने महिला संचालक से लिखित इकरारनामा लिया। इसके तहत निवेशकों को रकम लौटाने के लिए तीन माह की मोहलत दी गई। प्रभारी कोतवाल एसएस नयाल ने बताया कि यदि तीन माह के भीतर निवेशकों की रकम नहीं मिली तो संचालिका के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। 

फरार हो चुकी है कंपनी

केंद्र सरकार और यूपी सरकार द्वारा ऐसी फर्जी कंपनियों के खिलाफ अभियान चलाने के दौरान ये कंपनियां मई 2017 में बंद हो चुकी थीं, लेकिन बागेश्वर में इनका दफ्तर चलता रहा। पहले स्थानीय निवेशकों को इसका पता नहीं चला। शक होने पर कुछ निवेशकों ने पड़ताल की तो कंपनियां बंद होने की जानकारी मिली। निवेशकों ने पुलिस को कंपनियों के खिलाफ हुई कार्रवाई की रिपोर्ट से जुड़ी अखबार की कटिंग भी दिखाई।
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