संविदा कर्मचारी: महापंचायत नहीं होगी, प्रस्ताव पर विचार विमर्श जारी

भोपाल। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का ऐलान किया था परंतु अब नई पॉलिसी तैयार कर ली गई है। यह पॉलिसी संविदा कर्मचारियों की प्रतिक्रिया पर बदली भी जा सकती है। फिलहाल यह तय कर लिया गया है कि संविदा कर्मचारियों को मप्र शासन के नियमित कर्मचारी तो घोषित नही किया जाएगा परंतु नियमित कर्मचारी के समान कुछ कर दिया जाएगा। शिक्षाकर्मी एवं व्यापमं की तरह 'संविदा कर्मचारी' नाम भी बदल दिया जाएगा। इसकी जगह नया नाम क्या होगा अभी तय नहीं हुआ है लेकिन यह तय कर लिया गया है कि अब महापंचायत नहीं बुलाई जाएगी। सीधे आदेश जारी कर दिए जाएंगे ताकि कर्मचारियों को समीक्षा का अवसर ही ना मिले। 

बता दें कि प्रदेशभर के संविदा अधिकारी व कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा महापंचायत बुलाने के आश्वासन पर आंदोलन स्थगित किया था। अब महापंचायत की तारिख का ऐलान नहीं हो रहा है। कर्मचारी पहले भी बड़ा आंदोलन कर चुके हैं और एक बार फिर गुस्से में हैं। इसे ध्यान में रखते हुए नया प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसमें अभी कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है परंतु संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है। नया कैडर बनाकर वेतनमान दे सकते हैं। वेतन में हर साल बढ़ोत्तरी के प्रावधान पर विचार चल रहा है।

ये सुविधाएं दी जा सकतीं हैं संविदा कर्मचारियों को

अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता दी जा सकती है, लेकिन ट्रांसफर नहीं हो सकेगा। 
योजनाओं के बंद होने से निकाले गए 36 हजार संविदाकर्मियों की वापस बुलाया जा सकता है। लेकिन, निकाले जाने से लेकर बहाली तक के वेतन, एरियर्स नहीं दिए जाएंगे। 
हर साल नवीनीकरण की जरूरत नहीं होगी। इसकी सीमा 5 साल तक बढ़ाई जा सकती है। इसे ही नियमित कहा जाएगा। 
विभागों में खाली पड़े नियमित पदों पर नियुक्ति की संभावना है। लेकिन, कुछ अधिकारी इस पर अड़ंगे लगा रहे हैं। संविदा कर्मचारियों को भी परीक्षा देनी होगी। बस उन्हे बोनस अंक मिलेंगे। 
अवकाश, मेडिकल सुविधा, भत्ते की पात्रता होगी, लेकिन इसमें भी कुछ शर्तों का पालन करना पड़ सकता है।

अब महापंचायत नहीं, सीधे आदेश जारी होंगे

मंत्रालय के अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक अब सरकार संविदाकर्मियों की महापंचायत नहीं बुलाएगी। बल्कि सीधे आदेश जारी करेगी। सूत्रों की माने तो सरकार महापंचायत बुलाने से इसलिए बच रही है, क्योंकि संविदाकर्मियों की मांगें पूरी करना आसान नहीं है। मांगें पूरी नहीं होने पर मामला बिगड़ सकता है। ऐसी स्थिति में सीधे आदेश जारी किए जाएंगे।
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