नई भर्ती और सहायक अध्यापकों की सेवा समाप्ति पर हाईकोर्ट का स्टे

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश के जरिए रीवा जिले में पूर्व से कार्यरत सहायक अध्यापकों को संविलियन के नाम पर अलग करने और नई भर्ती विज्ञापित किए जाने पर रोक लगा दी। याचिकाकर्ताओं को गुरूजी के बाद सहायक अध्यापक बनाया गया था परंतु संविलियन के नाम पर उन्हे अलग किया जा रहा था। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई जारी रहेगी परंतु जब तक फैसला नहीं हो जाता, याचिकाकर्ता अध्यापकों को अलग करने व उनकी जगह नई भर्ती करने पर रोक रहेगी। 

शुक्रवार को न्यायमूर्ति वंदना कासरेकर की एकलपीठ ने अपने आदेश में साफ किया कि सहायक अध्यापकों की नई भर्ती का विज्ञापन नियमविरुद्ध पाते हुए निरस्त किया जाता है। साथ ही निर्देश दिए जाते हैं कि याचिकाकर्ता उपेन्द्रमणि त्रिपाठी सहित अन्य को सहायक अध्यापक के पदों पर कार्य करते रहने दिया जाए।

मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने दलील दी कि 2008 में याचिकाकर्ता गुरुजी बतौर नियुक्त हुए थे। बाद में शासकीय सर्कुलर की रोशनी में उन्होंने निर्धारित परीक्षा दी और उत्तीर्ण होने के बाद से सहायक अध्यापक के रूप में सेवाएं देने लगे। इसके बाजवूद मनमाने तरीके से उन्हें संविलयन के नाम पर सेवा से पृथक करके नई भर्तियां करने विज्ञापन निकाल दिया गया। चूंकि बेरोजगार होने का संकट खड़ा हो गया अतः हाईकोर्ट आना पड़ा। 

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !