शिवराज सिंह ने गलत केस फाइल किया था, पद का दुरुपयोग किया था ? | MP NEWS

भोपाल। सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा के खिलाफ भोपाल कोर्ट में दाखिल किए गए मानहानि के मामले में नई जानकारी सामने आई है। भारतीय जनता पार्टी के मुख्य प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय ने भाजपा मुख्यालय से जारी आधिकारिक बयान में बताया है कि सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल कोर्ट के आदेश को इसलिए खारिज किया क्योंकि शिवराज सिंह चौहान ने एक लोकसेवक (मुख्यमंत्री) की हैसियत से परिवाद दाखिल किया था जबकि यह मामला एक आम नागरिक शिवराज सिंह चौहान की हैसियत से प्राइवेट वकील के माध्यम से दायर किया जाना था। 

शिवराज सिंह का केस ही गलत फाइल हुआ था
डॉ. विजयवर्गीय ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मानहानि पर सत्र न्यायाधीश भोपाल के फैसले के विरूद्ध श्री के.के. मिश्रा द्वारा दायर याचिका पर पारित आदेश को के.के. मिश्रा द्वारा अपनी जीत के रूप में प्रचारित करने को तथ्यों से परे बताया है। डॉ. विजयवर्गीय ने कहा कि के.के. मिश्रा को सत्र न्यायाधीश ने दोषी पाया है। उन्होंने बताया कि वास्तव में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की मानहानि के संबंध में श्री के.के. मिश्रा के विरूद्ध सत्र न्यायाधीश भोपाल द्वारा पारित निर्णय पर के.के. मिश्रा की याचिका की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने प्रकरण में तकनीकी त्रुटि मानते हुए प्रकरण को लोकसेवक श्री शिवराजसिंह चौहान की मानहानि की जगह व्यक्तिशः श्री शिवराजसिंह चौहान की मानहनि के रूप में धारा 199 (1) दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत परिवाद दायर करने का आदेश पारित किया है। इससे साफ जाहिर होता है कि मिश्रा मानहानि के कृत्य से बरी नहीं हुए हैं।

अपनी मानहानि को मुख्यमंत्री पद की मानहानि बताया था
डॉ. दीपक विजयवर्गीय ने कहा कि श्री के.के. मिश्रा ने प्रेस कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान पर झूठे आरोप लगाकर मानहानि कारित की। जिस पर धारा 199 (2) दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत लोक अभियोजक द्वारा सत्र न्यायालय, भोपाल में परिवाद प्रस्तुत किया गया था। सुनवाई के बाद प्रकरण में प्रथम सत्र न्यायालय, भोपाल द्वारा 17 नवंबर 2017 को के.के. मिश्रा को मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान की मानहानि करने के अपराध का दोषी पाया गया तथा दो वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई।

सुप्रीम कोर्ट ने मिश्रा को दोषमुक्त नहीं किया, केस  खारिज किया है
उन्होंने कहा कि प्रकरण में के.के. मिश्रा द्वारा सत्र न्यायालय और उच्च न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत किया गया था। मिश्रा का आवेदन सत्र न्यायालय एवं उच्च न्यायालय दोनों द्वारा खारिज कर दिया गया। इसके बाद के.के. मिश्रा द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की गई, जिसमें माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सत्र न्यायाधीश भोपाल द्वारा पारित अंतिम निर्णय दिनांक 17 नवम्बर 2017 तथा अपराध के गुणों पर कुछ भी टिप्पणी किये बिना आज पारित आदेश में प्रकरण में तकनीकी त्रुटि पायी गयी है न कि श्री मिश्रा को दोषमुक्त किया गया है।

अब शिवराज सिंह परिवाद दायर करेंगे
डॉ. विजयवर्गीय ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आज के आदेश से मिश्रा मानहानि के अपराध से मुक्त नहीं हो जाते। अपने इस अपराध की सजा तो उन्हें मिलेगी ही। उन्होंने यह भी कहा कि इस संबंध में कानूनविदों से विचार कर शीघ्र ही समुचित परिवाद दायर करने की कार्रवाई की जायेगी।

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