भोपाल। मप्र में पुलिस और प्रशासन के बीच पॉवरगेम शुरू हो गया है। पुलिस कमिश्नर प्रणाली को रोकने के लिए प्रशासनिक मशीनरी तैयारियां कर रही है। डाटा कलेक्शन किया जा रहा है। जिससे यह साबित किया जा सके कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली देश भर में कहीं भी सफल नहीं हुई है, उल्टा हर उस शहर की पुलिस बेलगाम हो गई जहां कमिश्नर प्रणाली लागू की गई। पुलिस ने लाठी का दुरुपयोग किया और जनता को परेशान किया।
पत्रकार पवन वर्मा एवं विकास तिवारी की रिपोर्ट के अनुसार इंदौर और भोपाल में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू न हो सके इसके लिए अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और राज्य प्रशासनिक सेवा (एसएएस) के अफसर खुलकर मोर्चा खोलने की तैयारी में हैं। इन सभी ने मिलकर अलग-अलग बिंदुओं पर विस्तार से कई उदहारण देकर नोट तैयार किए हैं। इसमें देश भर के पुलिस कमिश्नर सिटम के कड़वे अनुभव समेटे जा रहे हैं। इस नोट में वहां की पुलिस द्वारा सीआरपीसी की धारा 107/110 के दुरूपयोग के कई उदहारण बताए गए हैं। जल्द ही इसे मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा, ताकि प्रदेश में इन दोनों शहरों में पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लेकर विचार न हो सके।
5 शहरों में पुलिस कमिश्नर से क्राइम कम नहीं हुआ
इसमें यह बताया जाएगा कि देश की पांच टॉप क्राइम सिटी पुलिस कमिश्नर सिस्टम के अंतर्गत आती है। इसके बाद भी उन शहरों में अपराध कम नहीं हो रहे हैं। अपराधों के मामले में कोच्चि पहले नंबर पर, नागपुर दूसरे, चेन्नई तीसरे, दिल्ली चौथे और सूरत पांचवे नंबर पर आईपीसी और एसएलएल के कुल दर्ज अपराधों में टॉप पर है। इन सभी शहरों में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू हैं। ये पूरा डाटा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की जानकारी पर आधारित है। इसमें 10 से 20 लाख वाले 34 शहर और 20 लाख से ज्यादा आबादी वाले 19 शहरों में चल रहे सिस्टम का रिकॉर्ड जुटाया गया है।
2 शहरों में बिना कमिश्नर क्राइम कम हुआ
इसमें यह भी बताया गया है कि इंदौर और पटना शहरों में यह सिस्टम लागू नहीं है, इसके बाद भी यहां पर वर्ष 2014 से 2016 में आईपीसी के अपराधों में कमी आई है। जबकि कमिश्नर सिस्टम वाले शहरों में इन अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसमें यह भी बताया जाएगा कि यदि पुलिस कमिश्नर सिस्टम लग जाएगा तो पुलिस की कार्यवाही पर चेक नहीं होगा, लोग ज्यादा परेशान होंगे।