CM शिवराज की ससुराल वाले जिले के ब्लैकलिस्टेड कारोबारियों का मप्र में सरकारी अनुबंध | MP NEWS

आनंद ताम्रकार/बालाघाट। सीमावर्ती राज्य महाराष्ट्र में गोंदिया जिला मप्र के सीएम शिवराज सिंह चौहान की ससुराल बताई जाती है। व्यापमं घोटाले के समय भी ऐसा कोई प्रसंग आया था। अब एक नया मामला सामने आया है। मप्र राज्य विपणन संघ ने 2 दर्जन से अधिक ऐसे राइस मिलर्स को मप्र में अनुबंधित कर लिया जो महाराष्ट्र में ब्लैकलिस्टेड हैं। मार्के वाली बात तो यह है कि उनसे महाराष्ट्र की एनओसी भी नहीं मांगी गई। चौंकाने वाली बात तो यह है कि मप्र राज्य विपणन संघ ने ऐसा कोई नियम ही नहीं बनाया। ये सभी कारोबारी सीएम शिवराज सिंह की ससुराल वाले जिले से आते हैं। फिलहाल यह पता नहीं चला है कि वो किसी भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रिश्तेदार हैं या नहीं। 

पता चला है कि 30 राईस मिलर्स से 21 करोड रूपये की राशि धान की कस्टम मिलिंग कर चावल जमा ना करने के एवज में वसूली किये जाने के निर्देश महाराष्ट्र शासन की ओर से 22 मार्च 2018 को दिये जा चुके है तथा मिलर्स के विरूद्ध आरआरसी की कार्यवाही प्रारंभ की जा चुकी है। जिन 30 राईस मिलर्स पर करोडों रूपये की राशि महाराष्ट्र शासन की बकाया है तथा उन्हें ब्लेकलिस्टेड कर दिया गया। उन्ही राईस मिलर्स में से अधिकांश मिलर्स को बालाघाट जिले में धान की कस्टम मिलिंग किये जाने हेतु मप्र राज्य विपणन संघ द्वारा अनुबंधित कर उन्हें धान प्रदाय की जा रही है।

इस संबंध में स्थानीय राईस मिलर्स द्वारा आपत्ति दिये जाने के बाद भी उन्हें अनुबंधित कर दिया गया है। प्रदेश के बाहर के राईस मिलर्स से अनुबंधित किये जाने के पूर्व संबंधित राज्य से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया जाना चाहिये था ताकि भविष्य में कोई वैधानिक अथवा वित्तीय विवाद उत्पन्न ना हो। लेकिन अनुबंध किये जाने के पूर्व विपणन संघ द्वारा ऐसी कोई प्रक्रिया अपनाई नही गई यह आश्चर्य का विषय है।

इस संबंध में मध्यप्रदेश राज्य विपणन संघ के प्रबंध संचालक श्री ज्ञानेश्वर पाटील आईएएस से चर्चा किये जाने पर उन्होने कहा की संघ द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन करवाते हुये मिलर्स से आवश्यक बैंक गारंटी लेने के बाद ही अनुबंध किया गया है। यदि मिलर्स के द्वारा कोई वैधानिक अथवा वित्तीय विवाद उत्पन्न होगा तो संघ तत्संबंध में मिलर्स के विरूद्ध आवश्यक कार्यवाही करेगा।

गोंदिया महाराष्ट्र के जिला आपूर्ति अधिकारी एके सवई ने अवगत कराया की शासन के आदेशानुसार संबंधित मिलर्स के विरूद्ध आरआरसी की कार्यवाही शुरू की गई है। जिला विपणन संघ से मिलर्स की सूची प्राप्त होते ही जिला अधिकारी के निर्देशानुसार कार्यवाही की जायेगी।


यह उल्लेखनीय है कि गोदिया जिला मार्केटिंग फेडरेशन द्वारा प्रतिवर्ष मध्यप्रदेश शासन की तरह किसानों से शासकीय आधारभूत धान की खरीदी कर मिलर्स से धान का चावल निर्माण करवाया जाता है तथा चावल को राशन प्रणाली के माध्यम से निर्धन नागरिकों में वितरित किया जाता है।वर्ष 2010-11 एवं 2012-13 में गोदामों की व्यवस्था तथा गुणवत्ता निरीक्षक ना होने से गोदिया जिले के 30 राईस मिलर्स से 95 हजार 574 क्विंटल चावल की वसूली नही हो पाई जिसकी कीमत 20 करोड 70 लाख रूपये शासकीय दर से आकी गई है।

जिन राईस मिलर्स से राशि वसूली की जानी है उनमें संतनाम राईस मिल गोदिया, पंकज मोदी एण्ड कंपनी, हरिओम टेªडर्स, राजकमल कांरजां, दादीजी इंडस्टीज सावरी, शक्ति राईस मिल गोदिया, सांईकृपा खमारी,जमना परबाईलिंग कारंजा, श्वेता खमारी, राजे टेªडींग, खण्डेलवाल परबाईलिंग, अदासी, गिन्नी राईस मिल, जयजलाराम तुमखेडा, शिवकृपा डब्बा, ज्योति एग्रो तुमखेडा, रामदेव राईस मिल बरडटोली, श्रीकृष्णा अर्जुनी मोरगांव, जयअम्बे नवेगांव बांघ, विशाल वडसा, माहेश्वरी इंडस्टीज आमगांव, गणेश राईस मिल आमगांव, अम्बालिके आमगांव, अग्रवाल राईस मिल देवरी, श्रीकृष्णा देवरी, श्रीधर तुमखेडा, रेणुका राईस मिल अरूणनगर, माया खमारी के नाम है।
यह उल्लेखनीय है कि जिन राईस मिलर्स को बालाघाट से कस्टम मिलिंग के लिये धान दी गई है उनके द्वारा अमानक स्तर का चांवल नान में जमा कराया जा रहा है।

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