साहित्य ही नहीं जीवन के हर क्षेत्र में आलोचना का महत्वपूर्ण स्थान: डॉ.उमेश कुमार सिंह | BHOPAL NEWS

भोपाल। आलोचना अथवा समीक्षा का अर्थ है,किसी भी विषय-वस्तु पर ध्यान केंद्रित कर उसके गुण-दोषों का सटीक विवेचन करना ,एक स्वस्थ्य आलोचना पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं होना चाहिए। यह उदगार हैं साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश के निदेशक डॉ उमेश कुमार सिंह के ,वे मुख्य अतिथि के रूप में घनश्याम मैथिल 'अमृत' की आलोचना कृति 'रचना के साथ-साथ ' के लोकार्पण अवसर पर बोल रहे थे। 

इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ देवेंद्र दीपक ने कहा कि कुशल समीक्षक एक टूरिस्ट गाइड की तरह होता है ,जो रचना के बारे में पाठकों को विस्तार से समझाते हुए ,रचना के विविध पहलुओं से परिचय करवाते हुए ,कृति के प्रति जिज्ञासा का भाव और उसका समाधान करता है। इस अवसर पर सारस्वत अतिथि डॉ प्रेम भारती ने कहा कि कृति की समीक्षाओं को पढ़कर पाठकों को रचनाओं का सही आकलन करने की दृष्टि मिलती है। इस अवसर पर रचनाकार घनश्याम मैथिल ने इस पुस्तक के बारे में अपने अनुभवों को उपस्थित लोगों के साथ साझा किया। 

कार्यक्रम से पूर्व आयोजन के आयोजक सन्दर्भ प्रकाशन के निदेशक राकेश सिंह ने मंचस्थ अतिथियों का शॉल,श्रीफल,और पुष्पहारों से स्वागत किया। वरिष्ठ साहित्यकार करवट कला परिषद की सचिव कान्ति शुक्ला ने स्वागत उदबोधन दिया। कार्यक्रम में कृति पर केंद्रित समीक्षात्मक टिप्पणी युगेश शर्मा एवम लक्ष्मी नारायण पयोधि ने की। टिप्पणीकारों ने कृति के महत्व को रेखांकित करते हुए इस कृति को साहित्य के क्षेत्र में अपना विशिष्ट स्थान प्राप्त करेगी ,आज आलोचना समीक्षा के क्षेत्र में ऐंसी कृतियों की बहुत आवश्यकता है यह कृति एक बड़े अभाव की पूर्ति करती है। कार्यक्रम का सुमधुर सफल संचालन विमल भंडारी ने किया और अंत में कीर्ति श्रीवास्तव ने  उपस्थित जनों का आभार माना कार्यक्रम में नगर के अनेक प्रतिष्ठित नागरिक एवम साहित्यकार उपस्थित थे।

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