राकेश कुमार चौहान। एक बेहतर राष्ट्र के निर्माण में राष्ट्र निर्माता शिक्षक का बहुत बड़ा योगदान होता है लेकिन हमारे प्रदेश की सरकार दुनिया भर से निराली है, यहाँ शिक्षकों का निर्माण ही आरक्षण से करने की कवायद में लगी हुई है। सूत्रों की माने तो संविदा शिक्षकों की भर्ती जोकि वर्ष 2011-12 के बाद वर्ष 2014-15 में हो जानी थी उससे राज्य सरकार अब 2018 की चुनावी रोटियाँ सेंकना चाहती है। उस पर भी सभी को खुश करने के लिए आरक्षण का एक नया बीज मप्र सरकार बोने जा रही है।
खबरों की माने तो प्रदेश में लगभग 30 हजार शिक्षकों की भर्ती इस साल होगी। जिसमें 50% महिलाओं का आरक्षण (30000-15000) शेष 15000, इस पर 25% अतिथि शिक्षकों के लिए (15000-3750) शेष 11250 पद, इस में (ST 20%, SC 16% एवं OBC 14%) 40% कुल ST, SC, OBC को प्राप्त है। शेष (11250-4500) 6750 पद बचे। मतलब ये कि 30000 पदों में से सिर्फ 6750 पद ही मेरिट से भरे जाएंगे।
कैसा होगा उस राष्ट्र का निर्माण जहाँ मेरिट के आधार पर सिर्फ 20% शिक्षकों को चुना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि किसी भी भर्ती में आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यहां 50% महिलाओं को और 40% नियमानुसार दे दिया जाएगा। बचेगा क्या। कैसे चलेंगे स्कूल और उनका क्या जो दिनरात पढ़ाई कर रहे हैं।