असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के खिलाफ मंत्री पवैया से मिले अतिथि विद्वान | MP NEWS

भोपाल। प्रदेश के सरकारी कॉलेजों के लिए मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा-2017 को लेकर उम्मीदवारों के बीच दो फाड़ हो गए हैं। कॉलेजों में सेवारत अतिथि विद्वान जहां परीक्षा निरस्त कर नियमित करने की मांग कर रहे हैं। वहीं, अन्य उम्मीदवार परीक्षा कराने के पक्ष में हैं। राज्य सरकार द्वारा अतिथि विद्वानों को परीक्षा निरस्त कर उन्हें संविदा पर प्रति माह 25 हजार रुपए के वेतन पर नियुक्त करने के आश्वासन के बाद यह मामला और उलझ गया है।

गुरूवार को उम्मीदवारों के एक प्रतिनिधिमंडल ने उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया को ज्ञापन सौंप परीक्षा निरस्त नहीं करने की मांग की है। हाईकोर्ट मध्यप्रदेश द्वारा सभी उम्मीदवारों के लिए एक समान आयु सीमा रखने के फैसले के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती कानूनी दाव-पेंच में उलझ गई है। राज्य सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने जा रही है।

बताया जाता है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक यह परीक्षा स्थगित रखने की बात कही जा रही है। उच्च शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार भर्ती प्रक्रिया स्थगित कर तीन साल के लिए अतिथि विद्वानों को संविदा पर प्रतिमाह 25 हजार रुपए वेतन पर नियुक्त करने की तैयारी कर रही है। सरकार के इस फैसले को लेकर अतिथि विद्वान और अन्य उम्मीदवार आमने-सामने आ गए हैं। भर्ती प्रक्रिया अटकने से करीब 20 हजार उम्मीदवार प्रभावित हो रहे हैं। इनमें ऐसे उम्मीदवार शामिल हैं जो नेट, सेट और पीएचडी हैं।

दो साल में 20 प्रतिशत असिस्टेंट प्रोफेसर हो जाएंगे रिटायर
उम्मीदवारों का कहना है कि प्रदेश के 457 पुराने और नए सरकारी कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के करीब 8000 पद स्वीकृत हैं। जिसमें 4500 कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर्स में से वर्ष 2017 में 1605 को एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत किया गया है। वर्तमान में लगभग 5000 पद खाली हैं, और वर्ष 2018 व 2019 तक कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर्स में से 20 प्रतिशत रिटायर हो जाएंगे। संख्या के लिहाज से राज्य सरकार कम पदों पर भर्ती कर रही है।
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