डॉ. अशोक शर्मा सहित बेटा, बेटी की संपत्ति कुर्की के आदेश | MP NEWS

सुनील सिंह बघेल/इंदौर। राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के बर्खास्त डायरेक्टर डॉ. अशोक शर्मा से 8 करोड़ 58 लाख की वसूली के आदेश जारी किए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव द्वारा भोपाल कलेक्टर को भेजे पत्र में डॉ. शर्मा और उनके पुत्र-पुत्री की संपत्ति कुर्क कर घोटाले की राशि वसूलने को कहा है। यह वसूली आदेश उनके द्वारा वर्ष 2008 में दीनदयाल चलित अस्पताल योजना का ठेका अपात्र को देने के मामले में शुरू हुई जांच के 10 साल बाद आया है। गौरतलब है कि प्रदेश के किसी सरकारी अधिकारी की संपत्ति कुर्क कर वसूली का यह सबसे बड़ा मामला है। 

बैतूल के डॉ. फिरोज पटेल ने 2008 में इस पूरे घोटाले की शिकायत राज्य सरकार को की थी। लोकायुक्त ने भी अपनी जांच के बाद डॉ. शर्मा को अनियमितता का दोषी पाया था। इसके बाद 2014 में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था। बुधवार 21 मार्च को जारी आदेश में भोपाल कलेक्टर को कुर्की कर वसूली की अनुमति दी गई है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक डॉ. शर्मा के खिलाफ अभी और भी कुछ मामले लंबित हैं, जिनमें नए सिरे से वसूली और कुर्की के आदेश किए जाना है। डॉ. शर्मा का नाम पहली बार चर्चा में तब आया था जब 2006 आयकर विभाग ने छापेमारी की थी और दवा खरीदी कांड का बड़ा घोटाला सामने आया था। हालांकि इसके बावजूद 2007 मे उन्हें स्वास्थ्य विभाग का डायरेक्टर बना दिया गया था। 

इंदौर कलेक्टर को नहीं मिला कुर्की आदेश 
इंदौर कलेक्टर निशांत वरवड़े को फिलहाल जिले में उनकी नामी-बेनामी संपत्तियों को कुर्क कर वसूली के आदेश नहीं मिले हैं। मूलतः बड़वानी के पास पानसेमल के रहने वाले डॉ. शर्मा बाद में इंदौर शिफ्ट हो गए। इंदौर मेडिकल कॉलेज से ही डिग्री ली। यहां लंबे समय तक सीएमओ और जॉइंट डायरेक्टर भी रहे। वर्तमान में डाॅ. शर्मा इंदौर के वल्लभ नगर में रहते हैं। 

यह था मामला: जिसका आवेदन नहीं उस कंपनी को दिया करोड़ों का ठेका 
मामला वर्ष 2007-08 में दीनदयाल चलित अस्पताल योजना के तहत अपात्र कंपनी को नियम विरुद्ध करोड़ों का ठेका देने का है। इस वर्ष प्रदेश के 89 आदिवासी ब्लॉक में दूरदराज के गांवों में चलित वाहनों के जरिए स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाने के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए थे। तब स्वास्थ्य विभाग में बतौर डायरेक्टर डॉ. शर्मा ने जागरण सॉल्यूशन नामक कंपनी को बैतूल जिले के चार आदिवासी ब्लॉक में इस योजना का ठेका दे दिया था, जबकि इस कंपनी ने इन ब्लॉक के लिए आवेदन तक नहीं किया था। 

बैतूल के लिए योजना में टेंडर भरने वाली केजीएन वेलफेयर सोसायटी नामक कंपनी की शिकायत पर हुई जांच के बाद विभाग और लोकायुक्त ने भी डॉ. शर्मा को दोषी पाया था। इस आधार पर वर्ष 2014 में डॉ. शर्मा को बर्खास्त कर दिया गया था। बर्खास्तगी आदेश को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने खारिज कर दिया था, लेकिन बाद में डिवीजन बेंच ने इस पर मुहर लगा दी। 

तत्काल जब्त हो पासपोर्ट 
दुखद है कि घोटाले से कुर्की आदेश आने तक 10 साल लग गए। सरकारी लेटलतीफी के चलते इतने सालों में उन्होंने अपनी सारी संपत्ति या ठिकाने लगा दी गई होंगी। डॉ. शर्मा और उनके परिवार का पासपोर्ट तत्काल जब्त किया जाए। 
डॉ. फिरोज पटेल, बैतूल 

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