सरकार की गिरती साख को GDP का सहारा | EDITORIAL

राकेश दुबे@प्रतिदिन। वित्तीय वर्ष 2017-18 की तीसरी तिमाही की रिपोर्ट ने बहुत से अनुमानों को ध्वस्त किया है तो STATE BANK सहित अन्य बैंकों द्वारा ब्याज दर में वृद्धि में के निर्णय ने आर्थिक जगत में एक नया माहौल बनाया है। तीसरी तिमाही रिपोर्ट में 7.2 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि को दर्शाया गया है। इन आंकड़ों से यह बात साबित हुई है कि नोटबंदी और GST लागू होने के बाद बहुत सारे जानकार अर्थव्यवस्था में तेजी की उम्मीद छोड़ चुके थे। तब उन तथ्यों को खारिज करना कठिन था, जबकि सरकार नोटबंदी और जीएसटी को दीर्घावधि में अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद इंतजाम बता रही थी। अब यही लगता है कि सरकारी आकलन सही दिशा में था।

कृषि, निर्माण और विनिर्माण क्षेत्रों की मौजूदा संवृद्धि पिछली तिमाही या पिछले साल की इसी दौर के मुकाबले रही संवृद्धि दर से बढ़ी है। खेती जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ कही जाती है, उसमें 2.7 के मुकाबले लगभग दोगुनी 4.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हालांकि यह पिछले साल की ७.५ प्रतिशत की तुलना में अब भी काफी पीछे है।

खेती को फायदे का सौदा साबित करने वाले वास्तविक उपक्रमों से इसकी ग्रोथ रेट सुधारी जा सकती है। अलबत्ता, निर्माण क्षेत्र की 6.8 संवृद्धि काफी संभावनाएं जगाती है, जो पूर्व की 2.8 प्रतिशत के बनिस्बत लगभग चार प्रतिशत अधिक है। इसी तरह, विनिर्माण क्षेत्र ने भी 6.9 प्रतिशत के बजाय 8.1 प्रतिशत की रफ्तार पकड़ी है। हालांकि जीडीपी में एकमुश्त संवृद्धि के लिए अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह की बढ़ोतरी आवश्यक होगी लेकिन तीसरी तिमाही में हुई प्रगति का महत्त्व इसलिए ज्यादा है कि ये आमदनी के साथ रोजगार देने और उसे बढ़ाने वाले क्षेत्र हैं।

सरकार इसलिए ज्यादा उत्साहित है, तभी उसने अपनी अपेक्षा की दर बढ़ा दी है। निश्चित रूप से यह उसकी साख बढ़ाने और उसमें जन-विश्वास को फिर से कायम करने वाला है। इस समय सरकार को इसकी भारी जरूरत है, जो पंजाब नेशनल बैंक में १२७०० करोड़ रुपये के ऐतिहासिक घोटाले और इसके आरोपित के विदेश भागने के चलते पहले से ही बैकफुट पर है। उसकी किरकिरी हो रही है. अब ‘उत्साहित’ सरकार ने जीडीपी की समवेत वाषिर्क अपेक्षित दर ६.६ प्रतिशत तक बढ़ा दी है। इसकी एक वजह निजी क्षेत्रों में बढ़ता निवेश भी है। इसके अलावा, कोयला, इस्पात, सीमेंट और पेट्रोलियम समेत आधारभूत संरचना वाले आठ क्षेत्रों में भी वृद्धि बनी हुई है। ये तमाम बातें अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडी के पिछले साल किये गए आकलन को सही ठहरा रही हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था २०१८  में ७.५ की दर से बढ़ेगी।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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