“नमो” एप पर सरकार को खुलासा करना चाहिए | EDITORIAL

राकेश दुबे@प्रतिदिन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम को लेकर बने एप “नमो” को लेकर विदेश में हुए एक खुलासे ने इसे इंस्टॉल करने वाले लाखों लोगों की चिंता बढ़ा दी है। फ्रांस के शोधार्थी इलियट एल्डरसन ने हाल में ट्वीट कर कहा कि ‘ नमो ऐप ’ इंस्टॉल करते ही इंस्टॉल करने वाले से जुड़ी सारी सूचना, यानी नाम, पता, ईमेल, फोटो, लिंग, रुचि आदि तमाम जानकारियां एक अमेरिकी कंपनी तक पहुंच जाती हैं। इस पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुटकी ली कि मोदी जी का ‘ नमो ऐप ’ आपके दोस्तों तथा परिवार के सदस्यों का ऑडियो, वीडियो चुपचाप रिकॉर्ड कर रहा है। गौरतलब है कि ‘नमो ऐप’ एक ऐसा मोबाइल ऐप है जिसके जरिए कोई भी व्यक्ति भारतीय प्रधानमंत्री से सीधे जुड़ सकता है। इसके जरिए उनके संदेश लोगों तक पहुंचते रहते हैं। सूचना का यह तंत्र दो धारी तलवार साबित हो सकता है

इस एप पर  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ब्लॉग और बायोग्राफी भी उपलब्ध हैं। ऐसे लोग, जो मोदी के निजी तौर पर प्रशंसक हैं और उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल करना चाहते हैं, इस ऐप के जरिये उनसे जुड़े हुए हैं। लेकिन अब उनका डेटा थर्ड पार्टी को दिए जाने की खबर ने उनके होश उड़ा दिए हैं। अफसोसनाक बात यह है  कि भाजपा ने इसे सिर्फ एक राजनीतिक आरोप के रूप में लिया है। वह इससे जुड़े संकट को समझने के लिए तैयार नहीं है। दरअसल यह सूचना सार्वजनिक होने के सिर्फ एक दिन पहले नमो ऐप में यह बात जोड़ी गई कि “बेहतर यूजर एक्सपीरियंस के लिए आपकी कुछ सूचनाएं थर्ड पार्टी के साथ शेयर की जा सकती हैं। ये सूचनाएं नाम, ईमेल, मोबाइल नंबर, डिवाइस की जानकारी, लोकेशन और नेटवर्क हो सकती हैं” 

पहले इस ऐप की पॉलिसी में स्पष्ट लिखा था ‘आपकी सूचनाएं बिना आपकी इजाजत के किसी भी रूप में किसी तीसरी पार्टी को नहीं दी जाएंगी। ’ अब विवाद उठने के बाद भाजपा आईटी सेल के चीफ का कहना है कि नमो ऐप से जिस डेटा को तीसरी पार्टी के साथ शेयर किया जाता है, उसका मकसद ठीक उसी तरह विश्लेषण प्राप्त करना है, जैसा गूगल एनालिटिक्स किया करता है। उनकी दलील है कि डेटा को न तो संग्रह किया जाता है, न ही थर्ड पार्टी द्वारा इसका किसी तरह इस्तेमाल किया जाता है। 

उनकी जानकारी सही नहीं है उन्हें और उनकी पार्टी भाजपा को पता होना चाहिए कि थर्ड पार्टी को डेटा ट्रांसफर अब आईटी सेक्टर का एक बड़ा संकट बन गया है। फेसबुक जैसे चतुर खिलाडी  तक को इसके लिए माफी मांगनी पड़ी है। सरकार ने अभी तक यह साफ़ नहीं किया है कि नमो ऐप का संबंध सीधे-सीधे केंद्र सरकार से है या नहीं, यह अभी अस्पष्ट है। इसके डिवेलपर का पता भाजपा ऑफिस दर्ज है। प्रधानमंत्री का नाम जुड़ा होने के चलते सरकार इससे पल्ला नहीं झाड़ सकती। नमो ऐप को लेकर सारी आशंकाएं उसे दूर करनी ही होंगी। डेटा शेयर करने का मकसद बताने के अलावा उसे लोगों को आश्वस्त करना चाहिए कि उनकी सूचनाओं का कोई दुरुपयोग नहीं हुआ है। सरकार की चुप्पी से मामला और गंभीर होता जा रहा है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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