कश्मीर से धारा 370 हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं | NATIONAL NEWS

नई दिल्ली। भारत के गृहराज्य मंत्री हंसराज अहिर ने लोकसभा में बताया कि अनुच्छेद 370 को खत्म करने सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं है। बता दें कि इसी अनुच्छेद के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा हासिल है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एवं भाजपा इसका हमेशा विरोध करते रहे हैं। दोनों संगठनों का मानना था कि कश्मीर समस्या का एक ही हल है और वो है धारा 370 को समाप्त करना। भाजपा और आरएसएस से जुड़े संगठन इसके लिए कई आंदोलन भी कर चुके हैं। 

अब जबकि केंद्र में भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार है तो उम्मीद की जाती है कि वो कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले कानून को समाप्त करेगी। हंसराज अहीर ने बताया कि फिलहाल सरकार इस मुद्दे पर कोई विचार नहीं कर रही है। हंसराज अहिर ने इस बात की जानकारी लोकसभा में लिखित में देते हुए बताया कि सरकार धारा 370 को हटाने के बारे में अभी कोई निर्णय नहीं ले रही है। गृह राज्य मंत्री हंसराज अहिर  ने भाजपा सांसद अश्वनी कुमार के सवाल पर जवाब दिया। बीजेपी सांसद ने एक पत्र लिख कर पूछा था कि क्या सरकार संविधान से धारा 370 को हटाने के बारे में विचार कर रही है या नहीं।

2014 के चुनाव में वादा भी किया था
आपको जानकारी हो कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि अगर देश में बीजेपी की सरकार आती है तो वह संविधान से धारा 370 को खत्म कर देंगे। पीएम नरेंद्र मोदी ने दर्जनों बार अपनी सभाओं में इसको दौहराया था। 

क्या है धारा 370
धारा 370 संविधान का विशेष अनुच्छेद है। इसके जरिए जम्मू और कश्मीर राज्य को संपूर्ण भारत में अन्य राज्यों के मुकाबले विशेष दर्जा मिला हुआ है। देश को आजादी मिलने के बाद से लेकर अब तक यह अनुच्छेद काफी विवादित है। पिछले कई वर्षों से देश के कई राजनीतिक दल इसे समाप्त करने की मांग करते रहे हैं। 2014 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से जारी घोषणा-पत्र में भी धारा 370 को खत्म करने की बात शामिल है। हालांकि जम्मू-कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी के साथ गठबंधन की सरकार चला रही, ऐसे में इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है।

अनुच्छेद 370 के नियमों में क्या है
1. अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है।
2. जम्मू और कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता है। जम्मू और कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। 
3. भारत के उच्चतम न्यायलय के आदेश जम्मू और कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं। भारत की संसद जम्मू और कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यंत सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है।
4. जम्मू कश्मीर की कोई महिला अगर भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाएगी।
 5. यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस व्यक्ति को भी जम्मू - कश्मीर की नागरिकता मिल जायेगी।
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