SAGAR में मुख्यमंत्री के नाम पर घोटाला, भाजपा नेता है सरपरस्त | MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। भाजपा का गढ़ जहां से 3 मंत्री भी आते हैं, सागर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वाकांक्षी योजना 'मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना' के नाम पर बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। पीड़ित सबूत हाथों में लिए पुलिस के चक्कर लगाते रहे हैं परंतु भाजपा नेता की सरपरस्ती के कारण पुलिस मामला दर्ज नहीं कर रही है। उल्टा शिकायत लेकर घूमने वालों को रोका जा रहा है। बात बिगड़ती जा रही है, आक्रोश बढ़ता जा रहा है। 

इस मामले में आरोपी का नाम अंकित पांडेय बताया गया है जो अवतार ऐजेंसी का संचालक है। उसका भाई अर्पित पाण्डेय भारतीय जनता युवा मोर्चा का जिलाध्यक्ष है। सत्ता के इसी कनेक्शन के चलते पूरे खेल को अंजाम दिया गया है। बताया जा रहा है कि 'मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना' के नाम पर यहां बड़ी संख्या में आॅटो रिक्शा बेचे गए। घोटाले वाली बात यह है कि आॅटो रिक्शा की कीमत बाजार मूल्य से करीब 40 हजार रुपए ज्यादा है। मुनाफा बढ़ाने के लिए फाइनेंस का खेल भी चला है। धोखाधड़ी के शिकार हितग्राही तमाम सबूतों के साथ पुलिस अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन पुलिस अधिकारी इस मामले में एफआईआर से बचने की कोशिश कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि पुलिस और परिवहन विभाग के अफसरों पर राजनैतिक दबाव है। कांग्रेस एवं दूसरे सभी ऐसे लोग जो इस मामले को मुद्दा बना सकते थे, मैनेज कर लिए गए हैं। 

डीलर ने कुछ हितग्राहियों को राशि लौटाई
इस पूरे मामले में एक बड़ा सवाल यह उठाया जा रहा है कि यदि डीलर सही है, तो उसने कुछ हितग्राहियों को चैक से राशि क्यों लौटाई। चैक की प्रति लिए हितग्राही ठगी का सबूत लिए घूम रहे हैं, लेकिन पुलिस केस दर्ज नहीं कर रही है। 

नगर निगम में अवतार एजेंसी द्वारा दिया गया कोटेशन
निगम की एनयूएलएम शाखा से मिली जानकारी के अनुसार हितग्राही से ऑटो का कोटेशन बुलाकर उनके केस बैंक भिजवाए गए थे। बैंक से ऑटो के लिए कोटेशन के आधार पर पूरी राशि फाइनेंस की जा रही है। हितग्राही अलग-अलग टर्म के हिसाब से लोन लेते हैं। ज्यादा फाइनेंस करने पर इनकी किस्त भी ज्यादा बन रही है। 1 लाख 77 हजार से 1 लाख 88 हजार तक में ऑटो खरीदवाए गए हैं। इस संबंध में महापौर अभय दरे का कहना है कि इस मामले में बिना जांच के कुछ भी कहना ठीक नहीं। 

ऐसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
सागर के ऑटो चालक को भोपाल के किसी परिचित से ऑटो के रेट पता चले। इनमें काफी अंतर था। इसके बाद ऑटो चालकों ने आरटीओ से ऑटो के यहां से बिल निकालवाया तो दंग रह गए। इतवारी टौरी निवासी मुरली यादव ने 1 लाख 88 हजार में जो ऑटो खरीदा था, उसकी कीमत आरटीओ कार्यालय में 1 लाख 45 हजार बताई गई। इसी तरह चंद्रशेखर वार्ड निवासी राजकुमार साहू के साथ ठगी हुई। 

पुलिस बचा रही आरोपियों को
ऑटो यूनियन के अध्यक्ष पप्पू तिवारी के साथ ठगी के शिकार ऑटो चालकों ने आईजी को ज्ञापन सौंपा। तिवारी ने बताया कि निगम से बेरोजगार लोगों को ऑटो फाइनेंस कराए गए। इसमें भी उन्हें अब ज्यादा किस्त जमा करनी पड़ रही है। ऑटो चालकों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। यदि पुलिस जल्द इस मामले में एफआईअार दर्ज नहीं करती तो ऑटो चालक उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे और मुख्यमंत्री से मिलने जाएंगे। 

क्या कहती है पुलिस
एसपी सत्येंद्र शुक्ल का कहना है कि इस मामले में मैंने पहले दिन ही उनसे कहा था कि मामला परिवहन विभाग से जुड़ा है। उनकी तरफ से पुलिस को पत्र आए। इसके बाद हम आगे बढ़ें। सरकारी विभाग से जुड़े मामलों में हम सीधे एफआईआर नहीं करते। जब तक संबंधित विभाग से शिकायत के संबंध में पत्र नहीं मिलता हम ऐसे मामलों में एफआईआर नहीं कर सकते। यहां गौर करने वाली बात यह है कि शिकायत सरकारी विभाग के खिलाफ नहीं है। यह विभागीय भ्रष्टाचार का मामला भी नहीं है। ऐजेंसी ने बाजार मूल्य से ​अधिक पर आॅटो बेचा, यह आईपीसी के तहत हस्तक्षेप योग्य अपराध है। धारा 420 के तहत इस मामले में विवेचना की जानी चाहिए।
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