भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार का अंतिम मंत्रिमंडल विस्तार हो गया। इंदौर के हाथ इस बार भी कुछ नहीं लगा। कैलाश विजयवर्गीय ने अपनी कुर्सी खाली की थी। माना जा रहा था कि उनकी कुर्सी पर रमेश मेंदोला को मौका दिया जाएगा। राजनीति में उत्तराधिकार का नियम भी यही कहता है परंतु ऐसा नहीं हुआ। लोकसभा स्पीकर एवं सांसद सुमित्रा महाजन 'ताई' की ताकत बनी रहे इसलिए भाई को निराश कर दिया।
महू से विधायक कैलाश विजयवर्गीय मंत्रीपद छोड़कर संगठन का काम कर रहे हैं। माना जा रहा था कि उनके द्वारा खाली की गई कुर्सी पर उन्ही की पसंद के विधायक को बिठा दिया जाएगा। मंत्रिमंडल में 5 कुर्सियां खाली भी थी। अवसर दिया जा सकता था परंतु ऐसा नहीं हुआ। सत्ता की नजर से देखा जाए तो ताई पॉवर में हैं। वो सांसद के साथ लोकसभा स्पीकर भी हैं। ताई के गुट से सुदर्शन गुप्ता भी मंत्रीपद के दावेदार बताए जाते हैं परंतु गुप्ता को इस विस्तार में मौका मिलने की उम्मीद कम ही थी, क्योंकि यदि ऐसा होता तो इंदौर में शक्ति संतुलन बिगड़ जाता। भाई उखड़ जाता और...।
राजनीति के कुछ पंडितों का कहना है कि ताई और भाई के बीच राजनीतिक रस्साकशी के चलते शिवराज सिंह चौहान ने 'सेफ' खेलते हुए इंदौर को एक बार फिर मंत्री पद से दूर रखा है, लेकिन यह ऐसा ही है प्रतीत नहीं होता। 2008 के बाद से लगातार इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय के पास मंत्रीपद रहा है। अब भाई के खेमे में सत्ता का कोई पद नहीं रहा। एक तरह से सीएम शिवराज सिंह ने इंदौर में भाई को कुछ इस तरह से कमजोर कर दिया कि वो नाराज भी ना हो पाएं।