पटवारी परीक्षा: CPCT की शर्त में राहत, बेरोजगारों को अवसर या घोटाले का रास्ता | MP NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश में करीब 25 हजार सीपीसीटी पास उम्मीदवार हैं, करीब 9 हजार पटवारी पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई। संख्या पर्याप्त थी। जो लोग पटवारी भर्ती की तैयारी कर रहे थे, सभी ने सीपीसीटी परीक्षा पास कर ली थी। बावजूद इसके अंतिम समय में सीपीसीटी पास की शर्त में ढील दे दी गई। नतीजा 9 हजार पदों के लिए 12 हजार उम्मीदवारों की कतारें लग गईं। सवाल यह है कि अधिकारियों ने ऐसा क्यों किया। क्या वो ज्यादा से ज्यादा बेरोजगार उम्मीदवारों को अवसर देना चाहते थे, या ये किसी नए घोटाले का रास्ता खोला गया है। क्योंकि सीपीसीटी पास उम्मीदवारों की संख्या मात्र 25 हजार थी। ऐसे में बेइमानी की संभावना ही नहीं थी। संदेह इसलिए भी क्योंकि पटवारी परीक्षा के परिणामों को टाल दिया गया है। अब मार्च में घोषित करने की बात की जा रही है। क्या प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड के भीतर कोई खिचड़ी पक रही है। पढ़िए इस मुद्दे पर तथ्य और तर्कों से साथ प्राप्त हुआ अनुराग शर्मा का खुलाखत: 

सेवा में,
मुख्‍य संपादक महोदय
भोपाल समाचार, एमपी नगर भोपाल
विषय- मध्‍यप्रदेश शासन की व्‍यापम द्वारा आयोजित पटवारी भर्ती परीक्षा 2017 के संबंध में।
महोदय,
मैं आपके माध्‍यम से पटवारी भर्ती परीक्षा में हुई अनियमितताओं के ऊपर प्रकाश डालना चाहता हूँ। मैप आईटी जोकि मध्‍यप्रदेश में सीपीसीटी की परीक्षा का आयोजन करती है। उसकी वेवसाइट पर यह निर्देश जारी किया गया है जो कि इस प्रकार है- ''मध्‍यप्रदेश शासन के सामान्‍य प्रशासन विभाग के पत्र क्रमांकC 3 – 15/ 2014/1/03 दिनांक 26 फरवरी 2015 के अनुसार CPCT परीक्षा के आयोजन हेतु विस्‍‍तृत दिशा-निर्देश जारी किये गये थे। इस संदर्भ में विभिन्‍न विभागों के डाटा एन्‍ट्री ऑपरेटर/आई.टी./ऑपरेटर सहायक ग्रेड-3/स्‍टेनो/शीघ्रलेखक/टायपिस्‍ट तथा इसी प्रकार के अन्‍य पद जिनके लिए भर्ती नियमों में कम्‍प्‍यूटर डिग्री सर्टिफिकेट/ डिप्‍लोमा / अनिवार्य योग्‍यता रखी गई है, उनके लिए CPCT स्‍कोर कार्ड धारित करना भी अनिवार्य होगा।

पटवारी परीक्षा में 2 साल की छूट दे दी

अर्थात् कम्‍पयूटर से संबंधित समस्‍त भर्तियों में सीपीसीटी को अनिवार्य किया गया है और पटवारी भी एक कम्‍प्‍यूटर से संबधित पद है तो इस परीक्षा में भी सीपीसीटी अनिवार्य किया गया है और सीपीसीटी पटवारी में एक शैक्षणिक योग्‍यता तथा तकनीकि योग्‍यता के अंतर्गत आता है। अत: किसी भी भर्ती में आवेदन करने की अंतिम तिथि के पूर्व तक अभ्‍यर्थी के पास यह योग्‍यता होना अनिवार्य होना चाहिए परंतु पटवारी परीक्षा में अभ्‍यर्थियों को इसे करने के लिये दो वर्ष की छूट दे दी गई है। 

2 साल तक क्या कुर्सी तोड़ने का वेतन देगी सरकार

अब यहॉं पर यह देखा जा रहा है कि जिस अभ्‍यर्थी के पास सीपीसीटी नहीं है उसको न तो टाइपिंग का ज्ञान है और न ही कम्‍प्‍यूटर दक्षता का। तो वह शासन और प्रशासन का काम कैसे कर पायेगा। साथ ही कोई अभ्‍यर्थी आने वाले 2 साल में इसको उत्‍तीर्ण कर पायेगा या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है। यदि कोई अभ्‍यर्थी जो पटवारी परीक्षा में उर्त्‍तीर्ण हो जाता है तथा उसकी ज्‍वाइनिंग के उपरांत वह सीपीसीटी उत्‍तीर्ण नहीं कर पाता है तो उसकी उम्‍मीदवारी निरस्‍त कर दी जायेगी। ऐसा पटवारी की विज्ञप्ति में दर्शाया गया है। इस प्रकार शासन के समय व धन दोनों की बर्बादी होगी तथा संसाधनों का दुरुपयोग होगा।

शासन बेतुका तर्क दिया, यह है असलियत

पटवारी भर्ती के संबंध में यह तर्क दिया गया था कि सीपीसीटी पर्याप्‍त अभ्‍यर्थियों के पास नहीं  है। अत: जिन अभ्‍यर्थिंयों के पास सीपीसीटी नहीं उनको दो साल में उत्‍तीर्ण करने की छूट दी जाती है। जबकि शासन ने लगभग 9 हजार पदों पर भर्ती आयोजित की है और सीपीसीटी की वेवसाइट पर (प्रतिलिपि संलग्‍न) यह दर्शाया गया है कि पिछले दो सालों में (सन् 2016 में  लगभग 28179 अभ्‍यर्थियों ने इस परीक्षा को दिया था और उनमें से लगभग 4500 लोगों ने हिंदी टाइपिंग और दक्षता वाले भाग को उत्‍तीर्ण किया तथा सन् 2017 में 68635 अभ्‍यर्थिंयों ने इस परीक्षा को दिया तथा लगभग 16500 अभ्‍यर्थिंयो ने इसको उत्‍तीर्ण किया था। कुल मिलाकर लगभग 20-21 हजार अभ्‍यर्थी ऐसे है जिनके पास सीपीसीटी है जो कि 9 हजार पदों के लिये पर्याप्‍त संख्‍या है साथ ही पटवारी परीक्षा के लिये योग्‍य हैं परंतु शासन ने इस भर्ती में सभी को केवल स्‍नातक के आधार पर परीक्षा दिलवा दी और बिना सीपीसीटी वालों को योग्‍य बना दिया। 

सभी परीक्षाओं में छूट दीजिए, केवल पटवारी में ही क्यों

मध्‍यप्रदेश शासन की सीपीसीटी से संबंधित पूर्व में कई परीक्षायें आयोजित हुई हैं जिनमें सीपीसीटी फार्म भरने के अंतिम दिनांक से पूर्व उत्‍तीर्ण करना अनिवार्य रखा गया है जैसे सन् 2016 में सहायक ग्रेड 3 तथा स्‍टेनो टाइपिस्‍ट इत्‍यादि। इन परीक्षाओं में सीपीसीटी करने की दो साल की कोई छूट नहीं दी गई थी। जबकि सीपीसीटी पटवारी तथा अन्‍य परीक्षाओं दोनों में अनिवार्य है। यदि शासन को लगता है कि सीपीसीटी उत्‍तीर्ण अभ्‍यर्थी पर्याप्‍त मात्रा में उपलब्‍ध नहीं है तो पहले की सीपीसीटी से संबंधित अन्‍य भर्ती परीक्षाओं में भी छूट देनी चाहिए थी परंतु यह व्‍यवस्‍था केवल पटवारी में ही की गई जो कि इस पर प्रश्‍नचिह्न लगाता है।

पहले घोषित कर दिया था कि सीपीसीटी अनिवार्य होगा

साथ ही व्‍यापम की वेवसाइट पर 11 अगस्‍त 2017 को एक आदेश द्वारा यह स्‍पष्‍ट कर दिया गया था कि पटवारी भर्ती परीक्षा में सीपीसीटी को अनिवार्य कर दिया गया है। (प्रतिलिपि संलग्‍न) इसके पश्‍चात् नबंवर के महीने में सीपीसीटी परीक्षा आयोजित कराई गई। अत: आदेश जारी होने के उपरांत और परीक्षा होने के बीच लगभग 3 माह का पर्याप्‍त समय मिला था। इसके बाबजूद जो अभ्‍यर्थी पटवारी बनने की इच्‍छा रखते थे उनको समय रहते इसको उत्‍तीर्ण कर लेना चाहिए था। कोई अभ्‍यर्थी इसको उत्‍तीर्ण नहीं करता है तो इसमें किसी का क्‍या दोष है। 

सीपीसीटी पास उम्मीदवारों को धोखा दिया गया

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि जो अभ्‍यर्थी पूर्व में सीपीसीटी परीक्षा उत्‍तीर्ण करके पटवारी भर्ती के लिये इंतजार कर रहे थे उनको पूर्व में सीपीसीटी करने का कोई भी औचित्‍य नहीं रहा है। और इसमें बिना शैक्षणिक और तकनीकि योग्‍यता के अभ्‍यर्थी शामिल हो गये है। और इसका प्रभाव सीधा उन अभ्‍यथियों कें ऊपर पड़ा है जो पूर्ण रूप से पटवारी बनने के योग्‍य हैं क्‍योंकि इसमें अभ्‍यर्थियों की संख्‍या अधिक हो जाने के कारण प्रतिस्‍पर्धा का स्‍तर बहुत बढ़ गया। प्राथमिकता जो उन्‍हीं अभ्‍यर्थियों को पहले मिलना चाहिए जो पूर्ण रूप से सीपीसीटी के साथ इसके योग्‍य हैं जो पटवारी बनने के उपरांत कार्य करने में सक्षम होंगे।

अत: मुख्‍य संपादक महोदय जी से अनुरोध है कि ऊपर बताये गये विवरण के आधार पर सरकार व जनता को इस अनियमितता से अवगत कराया जाये। आपकी बड़ी कृपा होगी।
प्रेषक - अनुराग शर्मा जिला अशोकनगर
मो- 7898804229
ईमेल- sharmaexcellent20@gmail.com

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