दिवालिया हो सकते हैं भारत के सरकारी BANK, 3 लाख करोड़ रुपए डूबे | NATIONAL NEWS

नई दिल्ली। भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, जिन्हे सरकारी बैंक कहते हैं, दिवालियापन की कगार पर आ गए हैं। पिछले साढ़े 5 सालों में सरकारी बैंकों के 3 लाख करोड़ रुपए डूब गए हैं। प्राइवेट बैंकों की हालत थोड़ी अच्छी है लेकिन उनके भी 64 हजार करोड़ रुपए डूब गए हैं। ये सारी रकम विजय माल्या, नीरव मोदी जैसे कारोबारियों ने लोन पर ली थी जो चुकाई नहीं गई। बैंक की भाषा में इस तरह की डूबत को 'राइट आॅफ' करना कहते हैं। शायद इसीलिए सरकार ने फाइनेंशियल रेज़्यूलेशन एंड डिपोज़िट इंन्श्योरेंस बिल बनाया है, जिसके तहत कहा जा रहा है कि यदि बैंक दिवालिया हुआ तो उसके खाताधारकों की जिम्मेदारी सरकार की नहीं होगी एवं बैंक अपने घाटे की पूर्ति के लिए खाताधारकों की जमापूंजी का उपयोग कर सकता है। जो वापस नहीं की जाएगी। 

सूचना के अधिकार 2005 के अंतर्गत भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जो जानकारी दी गई है, वो चौंकाने वाली है। RBI के अनुसार साल 2012-13 से सितंबर 2017 तक सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बैंकों ने समझौते समेत 367765 करोड़ रुपए राइट ऑफ किए हैं। इसमें 27 बैंक सार्वजनिक क्षेत्र के हैं और 22 निजी बैंक है।

चंद्रशेखर गौड़ को आरबीआई से मिल जवाब में यह कहा गया है कि बैंकों की ओर से राइट ऑफ की जाने वाली राशि लगातार बढ़ रही है। साल 2012-13 में जो राशि 32,127 करोड़ रुपए थी। 2016-17 में बढ़कर 103202 करोड़ रुपए हो गई। आंकड़े के अनुसार साल 2013-14 में 40870 करोड़, साल 2014-15 में 56144 करोड़, साल 2015-16 में 69210 करोड़ राशि राइट ऑफ किए गए। साल 2017-18 के अप्रैल से सितंबर के बीच 66162 करोड़ की रकम राइट ऑफ की गई।

आंकड़ों से यह पता चलता है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने निजी क्षेत्र (प्राइवेट सेक्टर) के बैंकों के मुकाबले लगभग पांच गुना ज्यादा की राशि राइट ऑफ की है। निजी क्षेत्र के बैंकों ने साढ़े पांच साल में 64187 करोड़ की रकम राइट ऑफ की तो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने इसी दौरान में 303578 करोड़ की रकम को राइट ऑफ किया है।

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