बेकार बैठे हैं मप्र 10 IPS अफसर, बोले व्यापमं का अध्यक्ष ही बना दो | MP NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश में पुलिस की कमी है लेकिन पुलिस मुख्यालय में डीजी रैंक के आईपीएफ अफसरों की बाढ़ आ गई है। 10 आईपीएस अफसरों के पास कोई काम ही नहीं है। पुलिस मुख्यालय ने मप्र शासन को प्रस्ताव भेजा है कि इनमें से किसी 1 को प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड का अध्यक्ष बना दो। खाली बैठकर कुर्सी तोड़ने से अच्छा है परीक्षाएं आयोजित करवाए। वैसे भी व्यापमं घोटाले के कारण पीईबी बदनाम है लेकिन सवाल यह है कि व्यापमं घोटाले की परतें खोलने वाली पुलिस क्या किसी डीजी स्तर के आईपीएस के अध्यक्ष बन जाने के बाद इस तरह से कार्रवाई कर पाएगी। 

पीएमटी महाघोटाले से देश भर में चर्चित हुए व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) अब पीआईबी की कमान सीनियर आईपीएस अफसर को देने की कवायद चल रही है। पीएचक्यू ने शासन को अध्यक्ष पद पर आईपीएस अफसर को पदस्थ करने का प्रस्ताव भी भेजा है। पुलिस मुख्यालय द्वारा भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि व्यापमं के अध्यक्ष पद पर डीजी रैंक के आईपीएस अफसर को पदस्थ किया जा सकता है। व्यापमं में अब तक प्रमुख सचिव (पीएस) या अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) स्तर के आईएएस अफसर को पदस्थ किया जाता है। 

पुलिस मुख्यालय में डीजी रेंक के अफसरों के पास उनके पद अनुरूप काम नहीं है। इसलिए उन्हें व्यापमं में बतौर अध्यक्ष पदस्थ करने का मुख्यालय ने प्रस्ताव तैयार किया है। अफसरों का मानना है कि वर्तमान में आईएएस अफसरों की कमी है, ऐसे में आईपीएस अफसर को यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। प्रदेश पुलिस में इस वक्त 10 आईपीएस अफसर डीजी रैंक के हैं। इनमें से एमएस गुप्त, अशोक दोहरे, राजेंद्र कुमार, बी मारिया कुमार और केएन तिवारी बतौर स्पेशल डीजी अपनी सेवाएं पीएचक्यू में दे रहें हैं। 

पुलिस मुख्यालय के बाहर जेल, होमगार्ड, पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन और परिवहन विभाग में भी डीजी रैंक के अफसर पदस्थ हैं। डीजीपी ऋषि शुक्ला भी इसी रेंक के अफसर हैं। यदि पुलिस मुख्यालय के प्रस्ताव को माना गया तो इन दस अफसरों में से किसी एक को अध्यक्ष बनाया जा सकता है। हालांकि बी मारिया कुमार 30 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं। 

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