
ग्वालियर में शताब्दीपुरम के दंदरौआ धाम आश्रम में चल रहे 165 कुंडीय महायज्ञ में इस विवाह का आयोजन किया गया था। ये शादी पूरी तरह हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार हुई। इस विवाह संस्कार में सात फेरों के मंत्रों की आहूतियां दी गईं। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हुए इस विवाह के साक्षी यज्ञशाला में मौजूद सैकड़ों यजमान बने और साधु संत मौजूद थे।
विवाह की ये कहानी किसी फिल्मी पटकथा जैसी लगती है। दिल्ली निवासी व्यापारी गौरव का विवाह चार साल पहले मनीषा से हुआ था। आधुनिक विचारों की बहू होने के कारण ससुराल पक्ष के लोगों से विवाद शुरू हो गए और 4 महीने में क्लेश इतना बढ़ गया कि व्यवसाई पति ने अपने परिवार की खुशी के लिए पत्नी को तलाक दे दिया। व्यवसाई ने कुछ दिन बाद दूसरी शादी कर ली लेकिन इसके बाद भी पत्नी के प्रति उसका लगाव कम नहीं हुआ इसके बाद पति ने अपनी तलाकशुदा पत्नी के लिए नए जीवनसाथी की तलाश की और विवाह में अपनी नई पत्नी के साथ कन्यादान की रस्म निभाई।