पढ़िए किस राशि का वैवाहिक जीवन कैसा होता है | JYOTISH

विवाह मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण संस्कार है, कहते है जिसका वैवाहिक जीवन (MARRIED LIFE) सफल है उसके लिये स्वर्ग धरती पर ही है, लेकिन परमात्मा द्वारा रची गई यह सृष्टि विपरीत ध्रुवों का समन्वय है। वैवाहिक जीवन भी विपरीत विचारधारा, विचारों और संस्कारों का समन्वय है, इसे हम संसार मॆ परिवार, समाज नामकी संस्थाओं का आधार कह सकते हैं। नवग्रहों मॆ से कुछ ग्रह शुभ तो कुछ ग्रह अशुभ होते है, LUCKY ग्रह वैवाहिक जीवन को सुधारते है वही UNLUCKY ग्रह वैवाहिक जीवन को बिगाड्ते हैं। MARRIAGE के लिये मुख्य दो कारक ग्रह होते है पहला शुक्र और दूसरा गुरु सभी राशियों मॆ इनकी अनुकूलता वैवाहिक जीवन को शुभ व सफल करती है। आइये सभी राशियों (SIGN) का वैवाहिक जीवन और ग्रह स्थिति पर विचार करें: 

मेष*-इस राशि का सप्तम भाव का स्वामी शुक्र ग्रह होता है,यदि पत्री मॆ ग्रह स्थिति अच्छी हो तो जातक का वैवाहिक जीवन अच्छा होता है।
वृषभ*-इस राशि के लिये राशि का स्वामी विवाह का कारक ग्रह शुक्र और सप्तम स्थान का स्वामी शुक्र होता है, यदि पत्री मॆ मंगल की अच्छी स्थिति हो तो विवाह शानदार होता है।
मिथुन*-इस राशि के लिये सप्तम स्थान का स्वामी गुरु होता है,जो की विवाह के लिये मुख्य कारक ग्रह होता है,इसीलिये इस राशि का वैवाहिक जीवन सामान्य तौर पर शुभ होता है,यदि गुरु पत्रिका मॆ शुभ स्थिति मॆ हो तो मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
कर्क*-इस राशि मॆ जीवनसाथी स्थान का स्वामी शनि ग्रह होता जो की राशि स्वामी चंद्र का शत्रु होता है,इसीलिये सामान्यतः इस राशि के वैवाहिक जीवन मॆ सामान्य तौर पर परेशानी का योग बनता है,यदि गुरु कृपा हो तो वैवाहिक जीवन शुभ हो सकता है।
सिंह*-इस राशि का वैवाहिक जीवन भी कर्क राशि के समान ही होता है,सप्तम स्थान का स्वामी शनि की राशि स्वामी से शत्रुता वैवाहिक जीवन मॆ तनाव पैदा करती है,यहां भी यदि गुरु महाराज सहायक हुए तो विवाह शुभ हो सकता है।
कन्या*इस राशि मॆ शुक्र और गुरु ग्रह परम कारक ग्रह होते है,गुरु इस पत्रिका मॆ सप्तम स्थान का स्वामी होता है,सप्तम भाव मॆ शुक्र की उच्च राशि मीन होती है,इसलिये इस राशि का वैवाहिक जीवन शानदार होता है।

तुला*-प्रेम और विवाह के परम कारक ग्रह शुक्र की यह परमप्रिय राशि है,इसीलिए इस राशि का वैवाहिक जीवन सामान्य तौर पर शानदार होता है।
वृश्चिक*-इस राशि मॆ सप्तम स्थान का स्वामी शुक्र और शुभ भावों का स्वामी गुरु होता है,इसीलिये इस राशि का वैवाहिक जीवन सामान्यतः सुखी ही होता है।
धनु*-इस राशि का स्वामी गुरु तथा सप्तम स्थान का स्वामी बुध होता है,दोनो शुभ ग्रह होने के कारण सामान्यतः इस राशि का वैवाहिक जीवन भी शानदार होता है।
मकर*-इस राशि मॆ राशि और सप्तम स्थान के स्वामी शनि और चंद्र परस्पर शत्रु होते है,ठीक कर्क राशि का उल्टा,इसीलिये इस राशि के वैवाहिक जीवन मॆ संघर्षपूर्ण स्थिति बनी रह सकती है।
कुम्भ*-इस राशि के लिये सप्तम और लग्न के स्वामी सूर्य और शनि आपस मॆ शत्रु होते है,जो की नैसर्गिक रूप से आपस मॆ शत्रु होते है,इसीलिये इस राशि का वैवाहिक जीवन मॆ कई समस्या आती है।
मीन*-इस राशि का स्वामी गुरु और सप्तम स्थान का स्वामी बुध होता है,जो की नैसर्गिक रूप से शुभ ग्रह होते है,इसीलिए इस राशि का वैवाहिक जीवन शुभ होता है।
*विशेष*-विवाह सामान्य तौर पर समन्वय और शालीनता,धैर्य जैसे सदगुणों का विकास करता है,यदि वैवाहिक जीवन मॆ दिक्कत है तो समाधान भी है,इसीलिये यदि कोई दिक्कत है तो भगवान पर भरोसा रखें सब ठीक होगा।
*प.चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"*
9893280184,7000460931
Tags

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !