फिंगर प्रिंट की जिद में फंस गया PEB, हाईकोर्ट में अवमानना | MP NEWS

भोपाल। मप्र पटवारी भर्ती परीक्षा के समय खुद को खुदा की तरह पेश कर रहे प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड अब हाईकोर्ट की अवमानना के मामले में फंस गया है। बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन में नियम विरुद्ध केवल फिंगर प्रिंट के विकल्प को ही लागू करने वाले पीईबी को इंदौर के एक उम्मीदवार ने हाईकोर्ट में घसीट लिया है। पीईबी अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल कर दी गई है क्योंकि उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद उम्मीदवार को आखों की जांच के जरिए बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन का अवसर उपलब्ध नहीं कराया। 

खरगौन निवासी 25 वर्षीय इंद्रजीत सिंह ने प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) द्वारा आयोजित पटवारी भर्ती परीक्षा 2017 का फॉर्म भरा था। 19 दिसंबर को वह पीईबी द्वारा आवंटित देवास के परीक्षा केंद्र पर ऑनलाइन परीक्षा देने पहुंचे। यहां पर्यवेक्षकों ने परीक्षा हॉल में एंट्री के लिए सिंह के फिंगर प्रिंट को स्कैन किया लेकिन, फिंगर प्रिंट डेटा का मिलान आधार के डेटा से नहीं हुआ। इस पर केंद्र के पर्यवेक्षक ने परीक्षा नहीं देने दी। 

आधार नंबर होने के बाद भी परीक्षा देने से वंचित होने से नाराज होकर परीक्षार्थी ने फिंगर प्रिंट नहीं आने की मेडिकल जांच इंदौर के एमवाय हॉस्पिटल में कराई। डॉक्टर ने जांच के बाद उसे एडरमैटोग्लीफिया से पीड़ित बताया। इस बीमारी में हाथ की अंगुलियों की स्किन कड़क हो जाती है और फिंगर प्रिंट बदल जाते हैं। बीमारी के कारण परीक्षा से वंचित होने पर पीड़ित ने परीक्षा में दोबारा शामिल होने के लिए इंदौर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। कोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद फैसला पक्ष में दिया। साथ ही पीईबी को 29 दिसंबर को होने वाली पटवारी भर्ती परीक्षा में शामिल करने के आदेश दिए। साथ ही पात्रता जांचने उनके आधार डेटा की जांच रेटिना स्कैन से करने की व्यवस्था दी थी लेकिन, व्यापमं परीक्षा नियंत्रक ने परीक्षा में शामिल होने की अनुमति नहीं दी। 

परीक्षा हॉल में रेटिना स्कैन के नहीं किए इंतजाम 
सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट में पीईबी के खिलाफ अवमानना याचिका लगाई है। 29 दिसंबर की सुबह 8 बजे पीईबी के परीक्षा नियंत्रक सहित दूसरे अफसरों को हाईकोर्ट के आदेश की कापी जमा कर दी थी। इसमें 29 दिसंबर को होने वाली पटवारी भर्ती परीक्षा में शामिल करने के निर्देश दिए गए थे लेकिन, पीईबी के अफसरों ने कोर्ट का आदेश देखने के बाद भी परीक्षा में शामिल नहीं किया। बकौल सिंह कोर्ट ने पीईबी को परीक्षा हॉल में फिंगर प्रिंट मिसमैच होने पर रेटिना स्कैन करने की व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए थे लेकिन, एग्जामिनेशन एजेंसी ने रेटिना स्कैन के इंतजाम परीक्षा हाल में नहीं किए। यह पीईबी की गलती थी। 

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