
अपने आरोप में डॉ. सबलोक ने कहा कि एक ओर तो प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के शिक्षित बेरोजगारो रोजगार देने की बात करते है वही दूसरी तरफ विभिन्न सरकारी महकमो में भर्ती के दोषपूर्ण विज्ञापन निकालकर उनसे करोडो रूपये की आवेदन राशि कबाड़ते हुये उनकी भर्ती प्रक्रिया को ही पूरा ही नहीं करते है और न ही ऐसे आवेदन शुल्क को बेरोजगारो को वापिस कराने में कोई पहल की जाती है।
ताजा मामले में डॉ. सबलोक ने कहा है कि प्रदेश के सरकारी कॉलेजो में खाली पडे शिक्षको के हजारो पदों की भर्ती के लिए 2014 एवं 2016 में विज्ञापन निकालकर करोडो रूपये की आवेदन राशि बेरोजगारों से वसूल करने बाद उक्त प्रक्रिया को पूरा नहीं किया जा सका और अब एक फिर भर्ती का विज्ञापन पन निकाल दिया गया। इस विज्ञापन में जहॉ पूर्व के आवेदको को आवेदन शुल्क में छूट का कोई प्रावधान नहीं किया गया है वही दूसरी तरफ यूजीसी के नियमों को पैरों तले रोद कर आयु सीमा को 40 एवं 45 वर्ष निर्धारित किया गया है। जबकि यूजीसी ने उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए शैक्षणिक पदों की भर्ती के लिए आयु के लिए किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं रखा है। भाजपा सरकार की इस नीति से 10 से 20 सालो से अतिथि विद्वान के रूप में काम कर रहे सैकेडों बेरोजगारो को रोजगार के अवसर से वंचित करने का रास्ता सरकार ने तलाश लिया है।
कॉग्रेस प्रवक्ता डॉ. संदीप सबलोक ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र भेज कर मांग की है कि सहायक प्राध्यापक चयन प्रक्रिया से अधिकतम आयु सीमा का बंधन समाप्त किया जावे तथा, रोजगार के नाम पर प्रदेश के शिक्षित बेरोजगारो के साथ छलावा एवं आर्थिक शोषण बंद कर सभी तरह की भर्तीयों मे पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ भर्ती प्रक्रिया को अपनाया जाए तथा पूर्व में एक ही पद के लिए वसूल की गयी आवेदन राशि को नये आवेदन में समायोजित किया जाए।