पहली नियुक्ति भ्रष्टाचार के आरोपी को: मप्र संविदा नियुक्ति नियम | MP NEWS

भोपाल। मप्र संविदा नियुक्ति नियमों में संशोधन करके नगरीय निकाय विभाग ने नगर निगम में रिटायर्ड कर्मचारियों को संविदा नियुक्ति पर लेने के अधिकार निगम आयुक्तों को दे दिए थे। इंदौर नगर निगम में इसके तहत पहली नियुक्ति हुई और यह भी विवादित हो गई क्योंकि पहली ही नियुक्ति भ्रष्टाचार के आरोपी की हो गई। देवेन्द्र सिंह जिन्हे अपर आयुक्त के पद पर संविदा नियुक्ति दी गई के खिलाफ लोकायुक्त में जांच चल रही है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि नए नियम बनाने वाले योग्य अफसरों ने यह शर्त तो जोड़ी ही नहीं कि उम्मीदवार के खिलाफ कोई गंभीर आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं होना चाहिए या फिर वो भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपी नहीं होना चाहिए। अब सरकार ने यूटर्न ले लिया है। मंत्री माया सिंह ने नियुक्तियों पर रोक लगा दी है और नियुक्ति के अधिकार मंत्री के नाम करने के आदेश दिए हैं। 

राज्य सरकार नगर निगमों में संविदा नियुक्ति के अधिकार आयुक्तों से वापस ले रही है। सरकार ने अधिनियम में बड़ा बदलाव कर यह अधिकार एक माह पहले ही नगर निगमों को दिए थे। नए नियम लागू होने के बाद नवंबर माह में देवेंद्र सिंह की पहली नियुक्ति इंदौर नगर निगम में अपर आयुक्त के पद पर हुई। सिंह 31 अक्टूबर को इसी पद से रिटायर हुए थे। इसे लेकर कई शिकायतें नगरीय प्रशासन विभाग में पहुंच गईं। इस पर नगरीय विकास मंत्री माया सिंह ने नियुक्ति निरस्त करने और नियमों में संशोधन करते तक किसी भी नगर निगम में संविदा नियुक्ति पर रोक लगा दी। उन्होंने विभाग के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव को नोटशीट भेजी है। इसमें निर्देश दिए हैं कि नियमों में संशोधन कर अधिकार राज्य शासन को दिए जाएं। तब तक रिक्त पदों को स्थानांतरण से भरें। यदि संविदा नियुक्ति आवश्यक है तो इसके लिए राज्य शासन की स्वीकृति ली जाए। 

मंत्रालय सूत्रों के अनुसार करीब एक साल पहले नगर निगमों व नगर पालिकाओं में विशेषज्ञ अफसरों की कमी को दूर करने के लिए संविदा नियुक्ति करने निर्णय लिया गया था। इसके लिए नगर पालिक अधिनियम में संशोधन किया गया, लेकिन प्रक्रिया में लंबा समय लग गया। राज्य शासन ने संशोधित नियम 16 नंवबर 17 को लागू किए। इसमें नगर निगमों में संविदा नियुक्ति के अधिकार आयुक्त को दिए गए थे। 

नियमों में कमी, इसी का उठाया फायदा: 
नियमों में उल्लेख नहीं है कि जिस व्यक्ति को नियुक्ति दी जाएगी, उसके खिलाफ कोई आपराधिक प्रकरण तो नहीं है? 
रिटायरमेंट के बाद संविदा नियुक्त पाने वाले अफसर या कर्मचारी के विरुद्ध ईओडब्ल्यू, लोकायुक्त या विभागीय जांच तो नहीं चल रही है? 
इंदौर में नियुक्त किए गए देवेंद्र सिंह के खिलाफ देवास आयुक्त रहते सरकारी योजना की राशि अन्य कामों में खर्च करने पर लोकायुक्त में जांच चल रही है। इसकी शिकायत मंत्री के पास पहुंची तो उन्होंने नियमों में फिर से संशोधन करने के निर्देश दिए। 

नवंबर में बने थे ये नए नियम 
संविदा नियुक्ति का अधिकार नगर निगम में आयुक्त और नगर पालिका में परिषद को दिया गया है। 
नगर निगम में सीधी भर्ती के पद के विरुद्ध नियुक्ति के लिए कोई चयन प्रक्रिया नहीं की जाएगी, जबकि विशेषज्ञ की नियुक्ति में इसका पालन किया जाएगा। 
नियुक्ति पाने वाले की उम्र 25 से 65 वर्ष के बीच होना चाहिए। 
नियुक्ति अधिकतम दो साल से ज्यादा नहीं होगी। 

साफ छवि वाले अफसरों की होगी नियुक्ति 
नियम में कुछ त्रुटियां हैं, इन्हें दूर करने के लिए संशोधन किया जा रहा है। तब तक नियुक्तियों पर रोक लगाई गई है। जिन अफसरों के खिलाफ लोकायुक्त जांच चल रही है, उन्हें नियुक्ति नहीं दी जा सकती है।' 
माया सिंह, नगरीय विकास व आवास मंत्री 

भोपाल नगर निगम में रोकी गई दो नियुक्तियां
नए नियम लागू होने के बाद भोपाल नगर निगम में दो सहायक स्वास्थ्य अधिकारी मुमताज रसूल और विपिन बख्शी रिटायर हुए हैं। निगम ने दोनों को एएचओ पद पर वापस संविदा नियुक्ति का प्रस्ताव तैयार किया है, लेकिन नगरीय प्रशासन विभाग ने संशोधित नियम लागू होने तक रोक लगा दी है। 

नए नियमों में होंगे यह संशोधन 
नगर निगम अथवा नगर पालिका में संविदा नियुक्ति के लिए चयनित व्यक्ति का नाम आयुक्त या परिषद राज्य शासन को प्रस्तावित करेंगे। इस पर अंतिम निर्णय विभागीय मंत्री का होगा। 
नियुक्ति देने से पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध कोई आपराधिक प्रकरण, लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू में प्रकरण दर्ज नहीं है। इसी तरह उसकी कोई विभागीय जांच लंबित नहीं है। 

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