
बता दें कि भाजपा ने कोलारस एवं मुंगावली उपचुनाव के लिए क्रमश: हुजूर विधायक रामेश्वर शर्मा और अरविंद भदौरिया को विधानसभा प्रभारी बनाया है। दोनों नेताओं की प्रत्याशी के चयन में तो महत्वपूर्ण भूमिका होगी परंतु इससे ज्यादा क्षेत्र का सर्वे और अपनी विधानसभा में भाजपा के लिए माहौल तैयार करने की बड़ी चुनौती भी है। कोलारस विधानसभा में भाजपा का रंग जमता नजर आ रहा है। यहां रामेश्वर शर्मा भाजपा के छोटे छोटे कार्यकर्ताओं सहित आम नागरिकों से भी लगातार मेल मुलाकातें कर रहे हैं परंतु मुंगावली में ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है। कुछ बड़े सरकारी आयोजनों को छोड़ दिया जाए तो मुंगावली में भाजपा की धमचक कतई नजर नहीं आ रही।
अशोकनगर जिले में आने वाली मुंगावली विधानसभा सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया के नजदीकी नेता महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा विधायक थे। यहां भाजपा का सीधा मुकाबला सिंधिया से है। जिले के प्रभारी मंत्री जयभान सिंह पवैया 90 के दशक में लोकप्रिय हुए सिंधिया विरोधी नारों को दोहराने की कोशिश कर रहे हैं परंतु वो भी कुछ खास प्रभाव नहीं डाल पा रहे। विधानसभा प्रभारी अरविंद भदौरिया के मामले में मुंगावली एवं अशोकनगर के सूत्रों का कहना है कि वो खुद को किसी बहुत बड़े नेता की तरह प्रस्तुत कर रहे हैं। उनका डोमिनेटिंग नेचर स्थानीय कार्यकर्ताओं को उनके पास जाने से रोक रहा है। जबकि यह चुनाव सीएम शिवराज सिंह के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है। कहीं ऐसा ना हो कि अटेर की तरह यह सीट भी भदौरिया के कारण हाथ से निकल जाए।