अध्यापकों का विसंगति हटाओ-स्कूल बचाओ सम्मेलन | ADHYAPAK SAMACHAR

नरसिंहपुर। साल के अंतिम दिन 31 दिसंबर को पीजी कालेज के स्वामी विवेकानंद ऑडिटोरियम में मध्यप्रदेश के अध्यापक सरकार से यह सवाल करेंगे कि 1998 में नियुक्त शिक्षाकर्मियों की 9 साल की वरिष्ठता एवं 2008 में दिया गया छठवां वेतनमान कहां गया? अध्यापक यह सवाल देश के जाने माने अधिवक्ता एवं सांसद विवेक तन्खा की में मौजूदगी में करेंगे, जिससे वे भी अध्यापकों के साथ हुए अन्याय के खिलाफ अपने स्तर पर आवाज उठा सकें। गौरतलब है 31 दिसंबर को अध्यापक संघर्ष समिति की ओर से विसंगति हटाओ-स्कूल बचाओ सम्मेलन होने जा रहा है, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में सांसद विवेक तन्खा उपस्थित रहेंगे एवं शिक्षाविद अनिल सद्गोपाल तथां छत्तीसगढ़ के शिक्षाकर्मियों के आंदोलन के नेता वीरेंद्र दुबे सम्मेलन में अध्यापकों का मार्गदर्शन करेंगे तथा स्कूली शिक्षा के सामने मौजूद संकट के बारे में जानकारी देंगे।

कार्यक्रम के आयोजकों की ओर से सत्य प्रकाश त्यागी, श्रीमती प्रज्ञा तिवारी, श्रीमती मुक्ति राय, सुधीर तिवारी,श्रीमती आरती सिंह,श्रीलेखा शर्मा,श्रीमती नीतिका शर्मा,अमिता शर्मा,तारा चौधरी,निकेता कोरी,दीपिका नामदेव,गुंजन लखेरा ने बताया कि मप्र सरकार ने 2007 में शिक्षाकर्मियों को अध्यापक संवर्ग में संविलियन किया था, ऐसा करके सरकार ने अध्यापकों की 9 साल की वरिष्ठता को समाप्त कर दिया, जिससे अध्यापकों को लाखों का आर्थिक नुकसान हुआ है। इसी तरह सरकार ने 2008 में अध्यापकों को छठवां वेतनमान देने की घोषणा की थी और 2013 में इसे किश्तों में दिया था, अब 2016 से फिर सरकार अध्यापकों को छठवां वेतनमान दे रही है, इससे भी अध्यापकों को एरियर के लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है। सरकार अध्यापकों को 20016 से छठवां वेतनमान देकर, इसी दिनांक से मिलने वाले सातवें वेतनमान से वंचित करना चाहती है, इससे अध्यापकों को भारी आर्थिक नुकसान होने वाला है।

अध्यापक संघर्ष समिति की ओर से जारी विज्ञप्ति में जानकारी दी गई है कि छठवें वेतनमान के जारी हुए गणनापत्रकों में सरकार ने विसंगतियां पैदा कर दी थीं, जिससे अध्यापकों के सामने आईआर की रिकवरी एवं वेतन कम होने का संकट आ गया था, लेकिन प्रदेश के दूसरी पंक्ति के नेताओं ने संघर्ष समिति बनाकर इस संकट के खिलाफ संघर्ष शुरू किया, तब जाकर सरकार ने तीसरी बार ठीक-ठाक गणनापत्रक जारी किया और हाल में जारी किए गए उदाहरण पत्रक के बाद रिकवरी एवं वेतन कम होने जैसा संकट को टल गया है, लेकिन अभी भी 1998 के अध्यापक को तीन वेतन वृद्धियों से वंचित किया जा रहा है। 31 दिसंबर को प्रदेश भर का अध्यापक नरसिंहपुर पहुंचेगा और यहां से शासन की अध्यापक विरोधी नीति के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेगा।

संघर्ष समिति के सुधीर तिवारी,एसपी त्यागी  ने जिले के अध्यापकों से अपील की है कि रविवार 31 दिसंबर को अधिक से अधिक संख्या में संघर्ष समिति के कार्यक्रम में शामिल होकर अधिवक्ता विवेक तन्खा, शिक्षाविद् अनिल सदगोपाल एवं छत्तीसगढ़ के शिक्षाकर्मी नेता वीरेंद्र दुबे को सुनें और एकजुट होकर 20 साल के अन्याय से मुक्ति के संघर्ष को ताकत दें।

संघर्ष समिति की ओर से सत्यप्रकाश त्यागी द्वारा बताया गया है कि सम्मेलन में सतना से सुनील मिश्रा, सिंगरौली से रमाकांत शुक्ला, दमोह से महेंद्र पाण्डे, भिण्ड से डीके त्रिपाठी, सीहोर से बाबूलाल मालवीय, इंदौर से भरत भार्गव, उज्जैन से अशोक जाकलीवाल, छिंदवाड़ा से ताराचंद भलावी, महेश भादे, सिवनी से परमानंद डेहरिया, मुरैना से कौशल शर्मा, खरगौन से हेमेंद्र मालवीय, भोपाल से अजीत यादव, रतलाम से सुरेश यादव, बैतूल से रिजवान अपने-अपने जिलों के अध्यापकों के साथ कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।

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