
सूत्रों के मुताबिक राजधानी में नियमित नशा करने वाले, देह व्यापार में लिप्त महिलाअों और समलैंगिगों को नियमित कंसल्टेंसी और दूसरी मदद दी जाती है। पिछले चार साल में यह संक्रमण 34% घट गया। 2013 में एचआईवी संक्रमण के लिए हुए परीक्षण में 0.86 फीसदी लोग पॉजिटिव मिले थे। ताजा आंकड़ों के अनुसार अब 0.56% के शरीर में ही बीमारी के वायरस मिले। इस दौरान पूरे प्रदेश में यह संक्रमण 33% घटा।
इंदौर में 36% संक्रमण घटा: इंदौर में एचआईवी संक्रमण के मामलों में करीब 36% की कमी आई है, लेकिन इसके बाद भी यहां मौजूदा संक्रमण का स्तर भोपाल से ज्यादा है। इस साल अक्टूबर तक यहां कुल 513 एचआईवी संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, ग्वालियर में संक्रमण का स्तर सबसे ऊपर है। यहां इस साल अब तक 266 संक्रमण के मामले 31 हजार टेस्ट के बाद सामने आए हैं। इस हिसाब से यहां संक्रमण का प्रतिशत 0.84 है।
बड़े शहरों में संक्रमण ज्यादा
मप्र में इस साल अब तक 10.09 लाख एचआईवी टेस्ट हो चुके हैं। इनमें से 4196 मामलों में परीक्षण कराने गए लोगों में एचआईवी वाइरस मिला। यानी संक्रमण की दर 0.42 फीसदी रही।इसकी तुलना में मप्र के चार बड़े शहरों में संक्रमण की दर 0.74 फीसदी है। जो काफी ज्यादा है। सोसायटी के अधिकारी कहते हैं कि शहरों में एचआईवी के लिहाज से सबसे बड़ा खतरा नशा करने वालों, वेश्यावृत्ति और समलैंगिगों की संख्या से है।
रिस्की बिहेवियर की पहचान कर संक्रमण रोकना हमारी प्राथमिकता
हमारी कोशिश यह है कि हम रिस्की बिहेवियर की पहचान करें और संक्रमण दूसरे लोगों तक पहुंचाने से रोकें। अगर हम उनकी पहचान सार्वजनिक करने लगेंगे तो वे लोग सामने नहीं आएंगे और एचआईवी का संक्रमण फैलता रहेगा।
उमेश कुमार, डायरेक्टर, मध्य प्रदेश एड्स कंट्रोल सोसायटी