भारत के नंबर 1 स्वच्छ घोषित इंदौर में मच्छरों से महामारी, हालात दिल्ली-गुड़गांव से भी बदतर

भोपाल। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने चार रोज पहले ही दावा किया था कि मप्र का इंदौर शहर न्यूयार्क से भी ज्यादा साफ स्वच्छ है। अब उसी इंदौर में मच्छरों के कारण महामारी फैल गई है।  मच्छरों के काटने से जो बुखार हो रहा है, उसे 'हड्डी तोड़' बुखार के नाम से पुकारा जा रहा है। ये मच्छर इतने शक्तिशाली हैं कि डॉक्टरों की दवाएं भी बेकार साबित हो रहीं हैं। दिल्ली-मुंबई के डॉक्टर भी आश्चर्य में हैं। बताने की जरूरत नहीं कि मच्छर गंदगी से ही पैदा होता है। जितनी ज्यादा गंदगी उतना ताकतवर मच्छर। याद दिला दें कि इंदौर को भारत के सबसे स्वच्छ शहर का अवार्ड मिला है। 

शनिवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के प्रांतीय अधिवेशन में प्रदेशभर के डॉक्टर शहर में जुटे। उन्होंने माना कि पूरे प्रदेश में कहीं भी इंदौर जैसे हालात नहीं है। 'हड्डी तोड़' बुखार का अब तक पता नहीं लगा पाना प्रशासन की विफलता है। यह भी तय है कि यह बुखार चिकनगुनिया का ही प्रकार है, लेकिन इसका नाम शो रिपोर्ट आने के बाद ही तय होगा।

होटल रेडिसन में आयोजित आईएमए के दो दिवसीय प्रांतीय अधिवेशन में इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, रायसेन, होशंगाबाद, देवास, उज्जैन के साथ दिल्ली, गुड़गांव, मुंबई के भी विशेषज्ञ डॉक्टर पहुंचे। अलग-अलग तकनीकी सत्र में डॉक्टरों ने अपने अनुभव साझा किए और आुनिक तकनीक का महत्व बताया।

सबसे ज्यादा चर्चा का विषय इंदौर में एक ही समय में अलग-अलग वायरस का असर होना रहा। शहर में इन दिनों लाखों लोग मलेरिया, डेंगू, स्वाइन फ्लू, चिकनगुनिया और हड्डी तोड़ बुखार से पीड़ित है। डॉक्टरों ने इंदौर में बढ़ते संक्रमण, कारण और बचाव पर मंथन किया। आईएमए के अध्यक्ष डॉ. संजय लोंढे व सचिव डॉ. सुमित शुक्ला ने बताया कि रविवार को भी अलग-अलग सत्रों में तकनीकी विषयों पर चर्चा होगी।

चार-पांच दिन में सैंपल भेजना जरूरी
मेदांता अस्पताल गुड़गांव से आईं डॉ. सुशीला कटारिया ने बताया कि दिल्ली-गुड़गांव में मौसमी बीमारियों के मरीज देखे जा रहे हैं, लेकिन इंदौर की तुलना में हालात ठीक हैं। दिल्ली में चिकनगुनिया के तो 100 में से एक-दो मरीज आ रहे हैं। चिकनगुनिया के प्रकार का पता लगाने के लिए 4-5 दिन में सैंपल जांच के लिए भेजना अनिवार्य है, वरना वायरस का पता लगाना मुश्किल है।

सिर्फ 30 मिली पानी में पनपते हैं मच्छर
डॉ. कटारिया के मुताबिक डेंगू-चिकनगुनिया फैलाने वाले मच्छर सिर्फ 30 एमएल पानी में पनप जाते हैं। कभी घर के बाथरूम में बाल्टी में भरे पानी में, बेसिन के पास रखे गिलास में, टंकी, गमले, टायर तो गड्ढे में। लोग हफ्तेभर में दस मिनट पूरे घर का निरीक्षण करें। पानी जमा होने पर उसे तुरंत फेंकें या पानी वाले टैंक में तेल की बूंदें डालें।

वेंटिलेटर पर रखने जैसी हालत में आ रहे मरीज
सेम्स के डॉ. रवि डोसी ने कहा स्वाइन फ्लू का ऐसा विकराल रूप 2011 के बाद अब देखा है। यह संक्रमण पहले की तुलना में बहुत ज्यादा सक्रिय है। देखते ही देखते मरीज की हालत गिर जाती है। इन दिनों ज्यादातर मरीज सीे वेंटिलेटर पर रखने जैसी स्थिति में ही अस्पताल पहुंच रहे हैं। बीमारी का जल्दी पता लगने पर ही इसका बचाव संभव है।

90 फीसदी मरीजों में पॉजिटिव नहीं चिकनगुनिया
डॉ. सौरभ मालवीय ने बताया हड्डी तोड़ बुखार ने तो इंदौर के डॉक्टरों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। इस बुखार में 90 प्रतिशत केस में जांच रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आ रही है। डॉक्टरों को इस बात का अब ध्यान रखना चाहिए कि पांच दिन में ही मरीज का आरटीसीपीआर टेस्ट हो जाए, लेकिन ज्यादातर केस में एंटीबॉडी टेस्ट हो रहा है। चिकनगुनिया का असर मरीज के किसी भी अंग पर हो रहा है । यहां तक कि दिमाग पर भी वायरस आक्रमण कर रहा है।

मच्छरों से बचने के ये जरूरी
बच्चों को पूरी आस्तीन के शर्ट, फुलपैंट व कॉटन के मोजे पहनना अनिवार्य करें
घर में मच्छरदानी में सोएं
बच्चों को ओडोमॉस लगाकर ही बाहर भेजें
चाय-कॉफी के कप में भी घंटों चाय न पड़ी रहने दें
घर के आसपास गड्ढों में पानी न रहने दें
हफ्ते में एक बार घर की सफाई जरूर करें, लार्वा नष्ट करें
मॉर्निंग वॉक करते समय ऊपर से नीचे तक ढंके कपड़े पहनें

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