
यह फैसला विभाग ने मानवाधिकार की सिफारिशों पर लिया है। इसके साथ ही स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी कलेक्टर्स को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं और इसका कड़ाई से पालन करने का आदेश दिया है। बता दें कि पिछले साल डिंडौरी में एक ऐसा मामला सामने आया था, जिसमें बच्चे के जन्म प्रमाण-पत्र में पिता के रूप में तीन व्यक्तियों के नाम लिखे होने से स्कूल ने प्रवेश देने से इन्कार कर दिया था।
उस बच्चे की मां के साथ तीन लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था। इसलिए जब बच्चे का जन्म हुआ तो पंचायत सचिव ने पिता के रूप में सामूहिक दुष्कर्म के तीनों आरोपियों का नाम लिखा। वे तीनों ही व्यक्ति तीन साल की जेल काटने के बाद सबूतों के अभाव में बरी हो गए थे। दुष्कर्म से जन्में बच्चे के प्रवेश के लिए किया गया यह फैसला भारत में संभवत: पहली बार है। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब तक किसी अन्य राज्य द्वारा ऐसा फैसला लिए जाने की जानकारी नहीं है।