कितना पैसा कमाना चाहते हैं जय शाह, क्या राजनीति में पिता का फायदा उठाते हैं

नई दिल्ली। भारत की राजनीति में एक नए किरदार का पदार्पण हुआ है। नाम है जय अमित शाह। जी हां, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के चिरंजीव। एक बेवसाइट ने उनके कारोबार में अचानक आए उछाल पर सवाल उठाए तो भैया ने दावा ठोक दिया। सामान्यत: ऐसे मामलों का खंडन किया जाता है परंतु शायद वो नहीं चाहते कि जय शाह का मीडिया ट्रायल शुरू हो जाए इसलिए पहले ही दावा ठोक दिया। जता दिया कि यदि सीमाएं लांघी तो...। लेकिन मीडिया है कि राजनीति के इस नए सितारे के चारों तरफ घूम घूमकर देख रही है। कहां क्या है। आइए अपन भी बात करते हैं कि आखिर कितना पैसा कमाना चाहते हैं जय शाह और क्या राजनीति में वो अपने पिता के नाम का फायदा उठाते हैं। 

इससे पहले बता दें कि जय अमित शाह अपने पिता अमित अनिलचन्द्र शाह के इकलौते बेटे हैं। उनकी उम्र मात्र 27 वर्ष है और उन्होंने रिशिता शाह से विवाह किया है जो उनके साथ पढ़ती थीं। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार जय शाह सबसे पहली बार मीडिया की नजर में 2010 में तब आए जब वो गुजरात हाईकोर्ट के चक्कर लगा रहे थे। पिता अमित शाह को सीबीआई सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था। वकील राम जेठमलानी के पीछे पीछे जय शाह कोर्ट आया करते थे। दरअसल यही जय शाह की परीक्षाओं का समय था और यहीं से जय शाह का उदय हुआ। 

पिता की गद्दी संभाली, जनता से जुड़े
गुजरात हाईकोर्ट ने अमित शाह को जमानत दे दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनके गुजरात में प्रवेश करने पर रोक लगा दी, इसके बाद अमित शाह दिल्ली रवाना हो गए। उस समय अमित शाह नारनपुरा से गुजरात विधानसभा के सदस्य थे लेकिन उनके दिल्ली चले जाने के बाद उनकी विधानसभा में लोगों की समस्याएं सुनने की ज़िम्मेदारी जय ने उठाई। इसके साथ ही उन पर अपने पिता के शेयर मार्केट से जुड़े बिजनेस को संभालने की ज़िम्मेदारी भी आ गई।

जीसीए में भी अमित शाह की कुर्सी पर जय शाह 
अपने पिता के नक्शे-क़दम पर चलते हुए जय गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन यानी जीसीए के साथ जुड़ गए। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के चेयरमैन का पद खाली हो गया था, जिसे अमित शाह ने संभाला। अमित शाह के बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन की लगभग पूरी ज़िम्मेदारी जय के हाथों में सौंप दी, उन्होंने जय को जीसीए का संयुक्त सचिव नियुक्त कर दिया। गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व अधिकारी हितेश पटेल बताते हैं कि जय की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वे जीसीए प्रशासन की रोज होने वाली गतिविधियों के लिए समय नहीं निकाल पाते, साथ ही उनके अंदर अपने पिता के जैसी समझ भी नहीं है।

पर्सनल लाइफ काफी क्लोज्ड है
अमित शाह के करीबी दोस्त कमलेश त्रिपाठी का कहना है कि जय और अमित शाह में एक समानता देखने को मिलती है, वह यह है कि दोनों ही किसी को अपने परिवार और निजी दोस्तों की मंडली में आसानी से जगह बनाने नहीं देते। जैसे कि जब जय की बेटी का जन्म हुआ तो उस कार्यक्रम में बहुत कम रिश्तेदारों और दोस्तों को बुलाया गया। शाह परिवार को जानने वाले लोगों का दावा है कि जय का बस एक लक्ष्य है अपने व्यापार को आगे बढ़ाना और ज़्यादा से ज़्यादा पैसा बनाना।
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