3 साल की बेटी को छोड़कर सन्यास लेने गई अनामिका को नहीं मिली दीक्षा

नई दल्ली। मध्यप्रदेश के नीमच में रहने वाले करोड़पति कारोबारी सुमित राठौर और उनकी पत्नी अनामिका ने पिछले दिनों अपनी 3 साल की मासूम बेटी और संपत्ति को त्यागकर सन्यास लेने का फैसला किया था परंतु भारी विरोध के कारण अनामिका की दीक्षा नहीं हो पाई। केवल सुमित राठौर को दीक्षा दी गई। बता दें कि 3 वर्षीय बेटी की जिम्मेदारियां त्यागने के कारण दंपत्ति के इस फैसले का विरोध हो रहा था। देश भर में सोशल मीडिया के अलावा कुछ सामाजिक कार्यकर्ता इस पहल को कानूनी चुनौती भी देने वाले थे। इस दीक्षा को रोकने के लिए मानवाधिकार आयोग को भी चिट्ठी लिखी गई थी। 

दीक्षा कार्यक्रम सूरत में हुआ। दीक्षा लेने वाले सुमित करोड़ों की संपत्ति के मालिक नाहरसिंह राठौर के पोते है। सुमित और उनकी पत्नी अनामिका ने एक साथ सन्यास लेने का फैसला किया था। उन्होंने अपनी सारी संपत्ति और 3 साल की बेटी इभ्या को त्याग देने का ऐलान किया था। धार्मिक रीति-रिवाज के साथ 23 सितंबर को श्री साधुमार्गी जैन आचार्य रामलालजी के सान्निध्य में सुमित ने दीक्षा ली। श्री साधुमार्गी जैन श्रीसंघ सूरत के महामंत्री सुभाष पगारिया ने बताया कि शनिवार सुबह करीब 7.15 बजे दीक्षा की शुरुआत हुई। बेहद सामान्य और गरिमापूर्ण तरीके से सुबह करीब 8.30 बजे सुमित की जैन भगवती दीक्षा पूर्ण हुई।

इभ्या की कानूनी जिम्मेदारी ली
अनामिका के पिता एवं मासूम इभ्या के नाना अशोक कुमार चंडालिया और पत्नी लाड़ देवी सहित अन्य परिजनों ने वैधानिक रूप से गोद लेने की प्रक्रिया पूर्ण की है। राजस्थान के चित्तौडगढ़ जिले के कपासन का यह परिवार भी दीक्षा में शामिल होने के लिए सूरत गया था लेकिन अनामिका को दीक्षा की अनुमति नहीं दी गई। 

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