शांति की तलाश में इस्लाम अपनाया था, 3 माह भी नहीं रह पाई

कोच्चि। केरल के कासरगोड में आथिरा नाम की एक युवती ने जुलाई में धर्म परिवर्तन कर इस्लाम कबूल कर लिया था परंतु वो वहां 3 माह भी नहीं गुजार पाई और वापस हिंदू बन गई। उसने विस्तार से बताया कि किस तरह उसे धर्म बदलने के लिए बहकाया गया था। उसे बहकाने वालों ने आथिरा का तमाशा बना दिया था। उसे मीडिया के सामने हिजाब में पेश किया गया। उसने खुद इस्लाम की प्रशंसा की और हिंदू धर्म छोड़ने का ऐलान किया। युवती का कहना है कि वो शांति की तलाश में गई थी। 

अथिरा 10 जुलाई को अस्पताल जाने की बात कहते हुए अपने घर से निकली थीं। बाद में घरवालों को अथिरा का लिखा 15 पन्नों का खत मिला था जिसमें उन्होंने इस्लाम अपनाने की बात कही थी। इसके अलावा उन्होंने अपने मामा को फोन करके कहा था कि वह शांति की तलाश में जा रही हैं। अथिरा के घर से चले जाने के बाद उनके माता-पिता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद अथिरा को उनके माता-पिता को सौंप दिया गया था। हालांकि कोर्ट ने यह शर्त रखी थी उन्हें इस्लाम की पढ़ाई जारी रखने दी जाएगी और उन्हें जबरन हिंदू धर्म अपनाने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। अथिरा के मुताबिक, उन्हें जल्द अपनी 'गलती' का अहसास हुआ और वह अपने मूल धर्म में लौट आईं।

हिंदू धर्म की कमियां गिनाते थे दोस्त
अथिरा ने बताया कि उनके सभी दोस्त मुस्लिम थे जिन्होंने हिंदू धर्म के खिलाफ उन्हें बहकाया। वह हिंदू धर्म की खामियां उन्हें गिनाते थे। वह उनसे कहते थे कि कैसे किसी पत्थर की पूजा करके मदद की उम्मीद की जा सकती है। वह उन्हें यह भी बताते कि इस्लाम में केवल एक भगवान 'अल्लाह' है।

घर छोड़ने पर हुआ SDPI, PFI से संपर्क
अथिरा ने बताया कि घर छोड़ने के बाद अनीसा और सिराज के जरिए वह SDPI (सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी ऑफ इंडिया) और PFI (पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया) के संपर्क में आईं। सिराज उनके दोस्त का रिश्तेदार था जो PFI कार्यकर्ता भी था। वह कहती हैं कि SDPI और PFI कार्यकर्ताओं ने ही उनसे पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने और अपने माता-पिता के पास जाने से पहले टीवी पर इंटरव्यू देने के लिए कहा।

धार्मिक भाषण सुनाए जाते थे
अथिरा के मुताबिक, उन्हें जाकिर नाइक जैसे लोगों के भाषण सुनाए जाते थे जिसमें यह तर्क दिया जाता था कि बाकी सब धर्म गलत हैं, केवल इस्लाम सही है। यह सुनकर उसे लगता कि इस्लाम ही सर्वश्रेष्ठ है। उसे नरक के बारे में एक किताब भी दी गई जिसे अथिरा डरावना बताती हैं। उसे पढ़कर उन्हें लगा कि उनके साथ भी वहीं होगा जो किताब में कहा गया है।

लोगों से अपील, अपने धर्म को समझें
अथिरा कहती हैं कि अब जब वह अपने परिवार क साथ रह रही हैं तो उन्हें अहसास हुआ है कि लोगों को जब अपने धर्म के बारे में पूरा ज्ञान नहीं होता तब वह दूसरे धर्म की ओर आकर्षित होते हैं। वह कहती हैं कि पहले अपने धर्म को पढ़ें और फिर फैसला करें कि क्या अच्छा है। वह चाहती हैं कि जिस तरह वह गुमराह हो गईं, वैसे कोई और न हो।

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