गिलानी का आतंकी कनेक्शन तलाश रही है NIA, बहल के खिलाफ सबूत मिले

नई दिल्ली। खुलासा हुआ है कि कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का करीबी नेता देविंदर सिंह बहल पाकिस्तान के संपर्क में था। कश्मीर में पत्थरबाजी और आतंकवादी हमलों के लिए बहल टिप दिया करता था। वो पाकिस्तान के उच्चायोग और उनकी जासूसी ऐजेंसी आईएसआई के संपर्क में था। यह खुलासा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने ने किया है। कहा है कि बहल ने भारतीय सैनिकों के मूवमेंट जैसी खुफिया सूचनाएं पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई के साथ साझा की हैं।

पत्रकार भारती जैन की रिपोर्ट के अनुसार एनआईए ने टेरर फंडिंग के मामले में रविवार को देविंदर सिंह बहल के घर पर छापा मारा था। एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हमें संदेह है कि पाकिस्तानी उच्चायोग के लोगों के साथ संपर्क में रहने वाले बहल ने आईएसआई के जासूसों को खुफिया सूचनाएं देकर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाला। यह एक गंभीर अपराध है और उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 121 (राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने) के तहत केस का आधार तैयार करता है।

एनआईए की प्राथमिक जांच में पता चला है कि जम्मू-कश्मीर सोशल पीस फोरम का मुखिया बहल सार्वजनिक रूप से आजादी के समर्थन में नारे लगाता था। एनआईए ने पाया है कि हुर्रियत लीगल सेल का सदस्य बहल कश्मीरियों को मारे गए आतंकियों को शहीद के रूप में बताकर उनकी 'शहादत' को व्यर्थ नहीं जाने देने के लिए उकसा रहा था। 

बहल के भाषणों के कुछ वीडियो यू-ट्यूब पर भी उपलब्ध हैं। इनमें बहल को 'आजादी' के नारे लगाते हुए और मारे गए आतंकियों के जनाजे में उन्हें 'शहीद' बताते हुए देखा जा सकता है। भाषणों के इन वीडियो की पृष्ठभूमि में पाकिस्तान के झंडे भी देखे जा सकते हैं। एनआईए बहल से पूछताछ की तैयारी में है और जल्द ही उसकी गिरफ्तारी हो सकती है। एनआईए सूत्र ने बताया कि बहल कम से कम 5 से 6 बार पाकिस्तान भी जा चुका है। 

एनआईए अभी बहल की इन पाकिस्तान यात्राओं के उद्देश्य का पता लगा रही है। एनआईए का मानना है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने कश्मीरी अलगाववादियों की मांगों को वैधता और वजन देने के लिए इस सिख नेता को अपने पक्ष में किया। बहल अपने भाषणों में खुलेआम यह दावा करते हुए देखा जाता रहा है कि सिख अपने 'कश्मीरी भाइयों' के पीछे खड़े हैं।

एनआईए की जांच और छापेमारी के दौरान बहल के बैंक अकाउंट में 35 लाख रुपये मिले हैं। एनआईए के अधिकारी का कहना है कि एक वकील के लिए, जिसकी वकालत खास नहीं चलती, 35 लाख की बचत कुछ ज्यादा दिखती है। एनआईए बहल से इस पैसे के सोर्स के बारे में भी पूछताछ करेगी।

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