नई दिल्ली। ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले से डॉक्टरी पेशे को शर्मसार कर देने वाली खबर आ रही है। एक नर्सिंग होम ने आशा कार्यकर्ता को कमीशन देकर सरकारी अस्पताल में दाखिल गर्भवती महिला को अपने यहां बुलवाया और प्रसव पूर्ण हो जाने के बाद 7500 रुपए का बिल थमा दिया। नवजात बेटी के पिता के पास 1000 रुपए कम थे अत: अस्पताल प्रबंधन ने उन्हे नजरबंद कर दिया। अंतत: नर्सिंग होम प्रबंधन ने नवजात बेटी को बेच दिया और उसके बदले मिले सारे पैसे अपने पास रखकर दंपत्ति का बिल माफ कर दिया गया। तब कहीं जाकर महिला एवं उसके पति को मुक्त किया गया।
बच्ची के पिता निराकर मोहराना ने आज प्राथमिकी दर्ज कराकर आरोप लगाया कि गांव की आशा कार्यकर्ता उन्हें एक निजी नर्सिंग होम लेकर गई जिसने बिल का भुगतान करने के लिए बच्ची को बेचने का सुझाव दिया। नर्सिंग होम ने टिप्प्णी करने से इनकार दिया गया है।
मोहराना और उनकी पत्नी राजनगर तहसील के रिघागढ़ गांव के रहने वाले हैं। वह 30 जुलाई को अपने तीसरे बच्चे के जन्म के लिए जिला मुख्यालय स्थित सरकारी अस्पताल गए थे। शिकायत में दिहाड़ी मजदूर मोहराना ने कहा है कि उनके साथ अस्पताल गई आशा कार्यकर्ता ने उन्हें बाद में मनाया कि बेहतर सुविधा के लिए नर्सिंग होम में स्थानांतरित हो जाएं। इसलिए वो आशा कार्यकर्ता के साथ नर्सिंग होम में चले गए। एक अगस्त को गीतांजलि ने एक बच्ची को जन्म दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने सोचा कि निजी नर्सिंग होम में उपचार नि:शुल्क होगा जैसे सरकारी अस्पताल में था लेकिन मुझसे 7500 रुपये का बिल चुकाने को कहा गया। उस वक्त मेरे पास 1000 रुपये से कम पैसे थे। अस्पताल अधिकारियों ने कहा कि बिल का भुगतान करने तक वे उन्हें नहीं जाने देंगे।’’ मोहराना ने आरोप लगाया कि अस्पताल अधिकारियों ने उसे प्रस्ताव किया कि पैसों के लिए संतानहीन दंपति को बच्ची को बेच दें। उन्होंने कहा कोई अन्य विकल्प नहीं देखकर मैंने अपनी पत्नी की अनिच्छा के बावजूद उनकी पेशकश को मान लिया।