
न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता शहडोल निवासी श्रीमती सरिता सिंह की ओर से अधिवक्ता सत्येन्द्र ज्योतिषी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि शासकीय प्राथमिक शाला रिमार, जिला शहडोल में पदस्थ याचिकाकर्ता ने 21 जून 2017 को आकांक्षा सिंह नामक पुत्री को जन्म दिया। लिहाजा, संतान पालन अवकाश का आवेदन किया गया। विभाग ने शासन के 6 अगस्त 2016 की पॉलिसी के प्रकाश में आवेदन निरस्त कर दिया। लिहाजा, हाईकोर्ट की शरण ली गई।
शासन की पॉलिसी अनुचित करार
हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद शासन की 6 अगस्त 2016 की पॉलिसी को अनुचित करार देते हुए याचिकाकर्ता को चाइल्ड केयर लीव का लाभ दिए जाने का राहतकारी आदेश पारित कर दिया। इसी के साथ अन्य महिला अध्यापकों को भी भविष्य में संतानोत्पत्ति की अवस्था में चाइल्ड केयर लीव मिलने का मार्ग प्रशस्त हो गया।