लक्झरी लाइफ छोड़कर BJP को जीवन दिया, पार्टी ने एक फूल तक नहीं चढ़ाया

भोपाल। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जन्मी भाजपा भारत को कांग्रेस मुक्त तो नहीं बना पाई लेकिन खुद 'संस्कार मुक्त' जरूरी हो गई है। मर्यादा, सिद्धांत, समर्पण और प्रेम तो अब इस पार्टी के दरवाजे पर उल्टा टंगा भी नहीं मिलता। जिस व्यक्ति ने अपनी लक्झरी लाइफ छोड़कर सारा जीवन भाजपा को सौंप दिया। जिस व्यक्ति ने मप्र में अंगद की तरह जम चुकी दिग्विजय सिंह सरकार को ना केवल चारों खाने चित किया बल्कि प्रदेश में ऐसा माहौल बना दिया कि 10 साल बाद भी लोग दिग्विजय सिंह के डर से भाजपा को वोट देते हैं। ऐसे धुरंधर रणनीतिकार अनिली माधव दवे की जयंती पर पार्टी ने उनके चित्र के सामने एक पुष्प तक समर्पित नहीं किया। 

डेढ़ माह पहले 18 मई को जब अनिल माधव दवे क असामयिक निधन हुआ तो मप्र की सारी भाजपा और शिवराज सिंह सरकार कुछ घोर शोक में डूबती नजर आई। एक के बाद एक दिग्गजों के बयान आए। 3 दिन तक राजकीय शोक भी घोषित किया गया। सीएम शिवराज सिंह ने ऐसा प्रदर्शन किया मानो मप्र में भाजपा का एक मजबूत स्तंभ टूट गया हो। नर्मदा पुत्र अनिल माधव दवे के अंतिम संस्कार में नेताओं का मेला सा लगा लेकिन इसके बाद जैसे ही मीडिया के कैमरे अनिल माधव दवे की तस्वीर से हटे, भाजपा के दिग्गज नेताओं ने भी उन्हे बिसरा दिया। 

6 जुलाई को दवे की जयंती थी, लेकिन प्रदेश भाजपा की ओर से न तो दवे को पुष्पांजलि अर्पित की और न हीं किसी तरह याद किया। जबकि इसी दिन पार्टी के पितृ पुरूष श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर प्रदेश भाजपा मुख्यालय समेत प्रदेश भर में आयोजन किए गए थे। बता दें कि दवे ने पायलट की नौकरी छोड़कर भाजपा ज्वाइन की थी। इसके बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन पार्टी और पर्यावरण को सौंप दिया। यहां तक कि उन्होंने अपनी वसीयत में लिखा है कि उनकी मृत्यु के बाद उनका कोई स्मारक न बनाया जाए। अगर कोई व्यक्ति उनकी स्मृति को चिरस्थायी रखना चाहता है, तो वह पौधे लगाकर इन्हें सींचते हुए पेड़ में तब्दील करे और नदी...तालाबों को संरक्षित करे। नर्मदा सेवा यात्रा के नाम पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर का आयोजन करने वाली शिवराज सिंह सरकार ने नर्मदा पुत्र के चित्र पर 2 पुष्प तक अर्पित नहीं किए। 

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