ये अध्यापकों की तबादला नहीं युक्तियुक्तकरण नीति है

भोपाल। मध्य प्रदेश में दो लाख चौरासी हजार अध्यापक पिछले 20 वर्षों से स्थानांतरण नीति का इंतजार कर रहे हैं। जिसकी घोषणा माननीय मुख्यमंत्री जी 3 साल से लगातार कर रहे हैं परंतु जिस तरह से गणना पत्रक जारी हुआ जिसमें अध्यापकों के चार से पांच हजार का नुकसान हुआ है उसी तरह स्थानांतरण नीति नीति में कई शर्तें लगा कर उसे स्थानांतरण नीति की जगह युक्तिकरण की नीति बना दिया गया है। यह आरोप अध्यापक संविदा शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष मनोहर प्रसाद दुबे ने लगाया है। 

श्री दुबे ने कहा कि शासन ने स्थानांतरण नीति में यह शर्त रखी है की मिडिल स्कूल में अध्यापकों की संख्या 4 एवं प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों की संख्या 3 होना चाहिए। अनिवार्य किया है जिसमें मध्य प्रदेश के लगभग 90% शासकीय शालाओं में एक शिक्षकीय 2 शिक्षकीय एवं तीन शिक्षकीय शालाएं है। ऐसे में 20 वर्षों से स्थानांतरण नीति की राह देख रहा अध्यापक एक बार पुनः शर्तों के अधीन होकर निराश हो गया है।

वहीं दूसरी शर्त यह है की अध्यापक को सेवा में रहते 5 वर्ष अनिवार्य होना चाहिए। जहां शासकीय शालाओं में मिडिल स्कूलों में 4 शिक्षक एवं प्राथमिक स्कूलों में 3 शिक्षक होने की शर्त है तो वहां सर प्लस/अतिशेष अध्यापक है तो इसे स्थानांतरण नीति के स्थान पर युक्तिकरण की नीति कहना उचित होगा?? 

अध्यापक संविदा शिक्षक संघ माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन कर रहा है की मिडिल, एवं प्राथमिक स्कूलों में 4 एवं 3  अध्यापक होने की शर्त को हटाया जाए साथ ही अध्यापक को सेवा में रहते हुए 5 वर्ष की अनिवार्यता समाप्त की जाए जिससे अपने घरों से सैकड़ों किलोमीटर दूर रह रहे अध्यापक 20 वर्षों बाद अपने घर स्थानांतरण करवा सके।
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