
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सोमवार शाम संसदीय बोर्ड की बैठक में शामिल होने दिल्ली पहुंचे थे। बैठक के बाद उन्होंने रविशंकर प्रसाद से मुलाकात की। इससे पहले दिल्ली में नरोत्तम ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर पूरे मामले पर चर्चा की। मिश्रा को उम्मीद है क सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई शुरू हो जाएगी। यदि यहां भी फैसला पक्ष में नहीं आया तो उन्हें इस्तीफा देना ही पड़ेगा।
इस संबंध में नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दायर कर दी गई है। चूंकि मामला न्यायालय में विचाराधीन है। इसलिए वे विधानसभा की कार्रवाई में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। इधर, विधानसभा में मिश्रा के विभागों से संबंधित प्रश्नों के उत्तर देने की जिम्मेदारी अलग-अलग मंत्रियों को सौंपने की तैयारी कर ली गई है, जिनमें जल संसाधन विभाग के प्रश्नों का उत्तर जयंत मलैया, संसदीय कार्य विभाग की जिम्मेदारी उमाशंकर गुप्ता और जनसंपर्क विभाग की जिम्मेदारी राजेंद्र शुक्ला या रामपाल सिंह में से एक को सौंपी जा सकती है।
मुख्यमंत्री ने दिल्ली रवाना होने से पहले पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा के दौरान संकेत दिया था कि वे संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद नरोत्तम मिश्रा के मामले को लेकर केंद्रीय मंत्रियों से चर्चा करेंगे। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं विधायक कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि नरोत्तम मिश्रा के बिना सदन सूना लगेगा। राष्ट्रपति चुनाव में मतदान के बाद उन्होंने मीडिया से कहा कि यदि नरोत्तम राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेते तो मुझे अच्छा लगता। मिश्रा के मंत्री पद से इस्तीफे के सवाल पर विजयवर्गीय ने कहा कि यह सरकार का अधिकार है कि वह किसे मंत्री बनाए।