
मौसम विभाग की भविष्यवाणी के कारण कर्ज में डूबे किसानों ने दूसरा कर्ज उठाकर खेत में जुताई और बुआई कर दी लेकिन पिछले 10 दिनों से ज्यादा समय से बारिश ना होने के कारण अब फसलें खराब हो गई। किसानों को लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ गया है।
हालांकि मौसम विभाग के अधिकारी की माने तो सैटेलाइट से आने वाले पिक्चर को देखने के बाद ही पूर्वानुमान किए जाते हैं। उसका साइंटिफिक तरीके से आकलन करने के बाद ही कहा जाता है। इसमें एक साल पहले के और इस मौसम के शुरू होने से पहले के आंकड़ों को भी देखा जाता है लेकिन कई बार बारिश होना, उस मौसम में चल रही हवाओं पर बहुत हद तक निर्भर करता है।
वैसे भी महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में मानसून ज्यादा अच्छा नहीं रहता है। अगर बारिश आएगी भी तो वो जुलाई और अगस्त के महीने में आने की उम्मीद रहेगी। लेकिन किसानों के दर्द को समझते हुए अब पर्यावरण मंत्री मौसम विभाग पर ही सवाल खडा कर रहे हैं। महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री रामदास कदम की माने तो बिना सोचे समझे इस तरीके का पूर्वानुमान देना नहीं चाहिए। इससे किसान परेशान हो जाते हैं।