
मिस्टर मिनिस्टर राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 'फेकल्टी डेव्हलपमेंट प्रोग्राम ऑन इंटरप्रेन्योरशिप'' को संबोधित कर रहे थे। प्रोग्राम ने ना तो किसी गंदे धंधे को लेकर लोगों को कंवेंस करना था और ना ही किसी छोटे धंधे के लिए लोगों को मोटिवेट करना था। धर्म का तो यहां कोई काम ही नहीं था परंतु मिस्टर मिनिस्टर क्या करते। मोटिवेटर तो थे नहीं, जो दोस्तों से सुना वही चिपका डाला।
श्री जोशी ने उद्यमिता की नई परिभाषा समझाई। बोले 'जो काम जिसको मिला है, उसे पूरी ईमानदारी से करें, यही उद्यमिता है।' एक और हाइट देते हुए जोशी बोले पुराने समय में सबका उद्यम निर्धारित था। तब हमारा देश सोने की चिड़िया कहलाता था। इस प्रोग्राम में वो सारे लोग जो सब्जेक्ट को समझते थे, मुंह पर हाथ रखकर अपनी हंसी रोकते नजर आए। अरे तकनीकी शिक्षा के अफसरो, कोई तो जाकर उन्हे बताओ, उद्यम क्या होता है, उद्यमिता की परिभाषा क्या होती है।
इनपुट: श्री राजेश पाण्डेय, मप्र जनसंपर्क संचालनालय, भोपाल।