तेजी से बढ़ रही है थायरॉइड के मरीजों की संख्या, 32% हुए

भारत में थायरॉइड के मरीजों की संख्या किस कदर बढ़ रही है, इसका खुलासा हाल ही में डायग्नोस्टिक चेन एसआरएल द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक 32 फीसदी भारतीय थायरॉइड से जुड़ी विभिन्न प्रकार की बीमारियों की शिकार है। थायरॉइड से संबंधित सबसे आम बीमारी 'सबक्लिनिकल हाइपोथायरॉइडिज्म' है, जिसका पता लोगों को आमतौर पर नहीं चल पाता। हाइपोथॉयराइडिज्म का मंद रूप सबक्लिनिकल हाइपोथॉयराइडिज्म है, जो देश में थॉयराइड का सबसे आम विकार है और इसका निदान बिना चिकित्सा जांच के संभव नहीं है। डायग्नोस्टिक्स ने हाल में अपने डेटा विश्लेषण के आधार पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया कि 32 फीसदी भारतीय आबादी थॉयराइड से जुड़ी विभिन्न प्रकार की असामान्यताओं की शिकार है।

इस बारे में नोएडा स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में इंटर्नल मेडिसिन के विभागाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा, "दरअसल, प्रीवेंटिव हेल्थ चेकअप के प्रति लोगों के सजग होने से उन्हें सबक्लिनिकल हाइपोथायरॉइड से पीड़ित होने का पता चल पा रहा है, क्योंकि इसके अधिकांश मामलों में लोगों को इसका पता ही नहीं होता। इस बीमारी के लक्षण या तो गौण होते हैं और होते भी हैं, तो लोग उसे नोटिस नहीं कर पाते, क्योंकि इससे पीड़ित व्यक्ति बाहर से पूरी तरह सामान्य एवं स्वस्थ नजर आता है।"

थायरॉइड की बीमारी आमतौर पर महिलाओं में पाई जाती है, लेकिन अब यह केवल उन्हीं तक सीमित नहीं है। यह पुरुषों को भी लगातार अपनी चपेट में ले रही है। हालांकि महिलाओं की तुलना में उनके इस रोग से पीड़ित होने की संभावना कम होती है। अग्रवाल ने कहा, "आज की तारीख में पुरुष हों या स्त्री हर कोई इसका शिकार हो रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण लोगों में बढ़ता तनाव है। हालांकि तनाव केवल थायरॉइड ही नहीं, बल्कि कई अन्य गंभीर बीमारियों जैसे रक्तचाप, मधुमेह तथा अवसाद का भी कारण है। इसके अलावा, लोगों के जंक फूड के आदी होने से भी उनकी थायरॉइड ग्रंथि के अनियंत्रित होने की संभावना रहती है।" सबक्लिनिकल हाइपोथायरॉइडिज्म के लक्षण आमतौर पर हाइपोथायरॉइडिज्म जैसे ही होते हैं।

अग्रवाल के मुताबिक, "शुरुआती दौर में इस बीमारी के लक्षण सामने नहीं आते। समय बीतने के बाद धीरे-धीरे जब बीमारी बढ़ती है, तो इसके लक्षणों का दिखना शुरू होता है। मरीज को कमजोरी, थकान, वजन बढ़ना, अवसाद, बेचैनी, बाल झड़ना, पेशियों की क्षमता में कमी, पुरुषों में इरेक्टाईल डिस्फंक्शन और यौनेच्छा में कमी महसूस होती है।"

बीमारी के इलाज के बारे में अग्रवाल ने कहा, "सबक्लिनिकल हाइपोथायरॉइडिज्म की समस्या गर्भावस्था या किन्हीं अन्य परिस्थितियों के दौरान भी सामने आ सकती है, जिसका पता टी3, टी4 तथा टीएसएच हॉर्मोन की जांच से चलता है। ऐसे मरीज कुछ दिनों तक दवा के सेवन के बाद पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। लेकिन अगर यह बीमारी सामान्य अवस्था में हो, तो मरीज को लंबे वक्त तक दवा का सेवन करना पड़ता है। अक्सर उन्हें जीवनभर दवाएं लेनी पड़ती हैं।"

बीमारी से बचाव के बारे में अग्रवाल ने कहा, "इस बीमारी के कारणों का ठीक-ठीक पता नहीं चल पाया है। हालांकि तनाव से दूर रहना, स्वस्थ व सक्रिय जीवनशैली तथा संतुलित भोजन हमें हर तरह की बीमारी से बचाने में काफी हद तक मददगार साबित होता है। इसके लिए कोई खास एहतियात बरतने की जरूरत नहीं है। हां एक बात गौर करने लायक है कि अगर आपके परिवार में किसी को थायरॉइड से संबंधित बीमारी हो, तो आपको सतर्क रहने की जरूरत है।"

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !