
डॉ. चौधरी द्वारा निलंबन के विरुद्ध प्रस्तुत किये गये अभ्यावेदन के परीक्षण में पाया गया कि सी.एम. हेल्पलाइन शिकायत का संबंध मनरेगा से लंबित भुगतान से है, जिसका उत्तरदायित्व वन विभाग का न होकर जनपद पंचायत का है।
इंदौर संभागायुक्त से प्राप्त प्रतिवेदन में भी स्पष्ट होता है कि तत्कालीन वन मण्डलाधिकारी धार ने लंबित भुगतान के निराकरण के लिये सार्थक प्रयास नहीं किया। तत्कालीन अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (समन्वय) द्वारा प्रकरण का समुचित परीक्षण किये बिना तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक की अनुशंसा पर फोर्स क्लोज किया गया।