
विधाता का दंड विधान
सभी जानते है की परमात्मा की ऊर्जा से ही सारा जगत चल रहा है। जिस दिन वह परम ऊर्जा अपनी ऊर्जा को वापस समेटेगी तब हम सब उसमे लय हो जायेंगे। यह सब उस तरह से होगा जैसे लाइट (बिजली) जाने पर विधुत उपकरणों की ऊर्जा पॉवरहाउस मॆ चली जाती है सभी उपकरण बंद हो जाते है।
यम और शनि सूर्य के सच्चे बेटे
हम सभी जानते है की यम और शनि भगवान सूर्य के पुत्र है। सूर्यदेव सभी प्राणियों की आत्मा है जब यह परम प्रखर आत्मा माया रूपी जगत तथा कर्म के प्रभाव से दूषित होती है तो इसे शुद्ध करके पवित्र अवस्था मॆ सूर्यलोक तक भेजने की जिम्मेदारी शनिदेव तथा यमराज पर है। यदि कोई व्यक्ति जीवीत अवस्था मॆ ही पूर्णतः शुद्ध हो जाता है तब उसे यमलोक जाना नही पड़ता लेकिन जो मरते दम तक इसी प्रपंच मॆ पड़े रहते है उनकी अच्छी ख़बर लेते है अर्थात जो जीते जी नही सुधरता उसे मरने के बाद सुधारा जाता है। एक तरह से शिव आज्ञा से शनि और यमदेव अपने पिता का कार्य ही करते हैं। जो लोग यह कहते है की शनि यम सूर्य के शत्रु है यह पूर्णतः गलत है वे तो आज्ञाकारी पुत्र है।
शनि कृपा के लिये यह करें
यदि किसी पंडित न आपसे यह कहा है की आप पर शनि का कोप है तो आप किसी गरीब बीमार या फ़िर किसी दुखी की भगवान की सेवा का निष्काम संकल्प लेकर सेवाकार्य करें कुछ समय बाद आपको मानसिक शांति भी मिलेगी साथ ही आपकी उन्नति का पहिया भी घूमेगा।
ईसाइयों का सेवा कर्म
ईसाई धर्म पूर्णतः शनि के सेवा सिधांत पर ही कार्य करता है चिकित्सा तथा शिक्षा के क्षेत्र मॆ उनकी सेवा बेमिसाल है। ईसाई मिशनरी इसी सेवा के सिधांत को अमल मॆ लाकर शनि कृपा का लाभ उठा रहे है।ईसाइयों के द्वारा किये गये आविष्कार तथा तकनीक से पूरा विश्व लाभ उठा रहा है इसकी आड़ धर्म परिवर्तन एक अलग मुद्दा है लेकिन यह कर्म जो भी करेगा उसपर शनिदेव की कृपा बरसेगी। आप किसी भी धर्म के हो यदि आपने सेवा की तो मेवा खाओगे और तकलीफ दी चाहे वह धर्म के नाम पर जेहाद क्यों ना हो बदले मॆ आपको भी तकलीफ भुगतनी पड़ेगी।शनि जयंती पर शनि देव के सेवा का सिधांत का अपनी सामर्थ्य के अनुसार पालन कर शनिकृपा का लाभ लें।जय शनिदेव।
*प.चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"*
9893280184,7000460931