
कंसल्टेंसी फर्म अर्न्स्ट एंड यंग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, सरकार टैक्स नहीं चुकाने वालों को घेरने के लिए तमाम उपाय कर रही है। लेकिन नए प्रावधानों से इंस्पेक्टर राज लौटने का डर बन गया है। LOW FIRM BMR ASSOCIATES की पार्टनर SHEFALI GORADIA ने कहा ‘कारण’ बताने की जरूरत खत्म होने से टैक्स अधिकारी को काफी अधिकार मिल जाएंगे। वे अनावश्यक जांच-पड़ताल भी कर सकते हैं।
पहले भी ऐसे मामलों में करदाता कोर्ट गए और कोर्ट ने विभाग की कार्रवाई पर रोक लगा दी। इसलिए बेहतर होगा कि करदाता के हित में टैक्स अधिकारी पर भी कुछ अंकुश लगाया जाए। जयपुर स्थित TAX CONSULTANT, PANKAJ GHIYA का कहना है कि इन बदलावों से ‘टैक्स टेररिज्म’ बढ़ेगा। सरकार को टैक्स कानूनों को लचीला बनाया जाना चाहिए था, उसके उलट आयकर अधिकारियों को ज्यादा अधिकार देकर इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा दिया है। उद्योगपति व व्यापारियों में हमेशा डर का माहौल रहेगा। सरकार को इन बदलावों पर फिर से विचार करना चाहिए।
दूसरी तरफ आयकर अधिकारियों का कहना है कि पहले भी अधिकारी छह साल पुराने मामले खोल सकते थे, अब यह अवधि बढ़ाकर दस वर्ष कर दी गई है। सर्च व सीजर की कार्रवाई कमिश्नर के आदेश पर होती है, आगे भी असेसी अधिकारी उच्च स्तर पर आदेश मिलने पर ही कार्रवाई करेंगे।
उद्योग संगठन PHD CHAMBER OF COMMERCE के राजस्थान चैप्टर के DIRECTOR RITURAJ TIWARI का कहना है कि टैक्स अधिकारी अपनी नाराजगी निकालने के लिए इन अधिकारों का उपयोग कर सकते हैं। उधमी और व्यापारी हमेशा डर के माहौल में काम करेंगे। यह कदम सरकार के उस वादे के भी खिलाफ है, जिसमें व्यापार को आसान बनाने का भरोसा दिया गया था।
मुश्किल होगा बिजनेस
अफसर के लिए करदाता को यह बताने की जरूरत नहीं कि सर्च क्यों किया गया। जूनियर अफसर को यह तय करने का अधिकार होगा कि संपत्ति की वैलुएशन सही है या नहीं। पहले सर्च एंड सीजर के आदेश देने का अधिकार प्रिंसिपल कमिश्नर के पास था। अब जूनियर अधिकारी यह कर सकते हैं। सर्च में 50 लाख रुपए या ज्यादा की विवादित संपत्ति मिलती है तो अधिकारी 10 साल पुराने असेसमेंट की दोबारा जांच कर सकता है। वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति से करदाता की संपत्ति 5 माह के लिए जब्त की जा सकती है। | BUSINESS | TAX | NEW AMENDMENT | PROTEST | DISPUTE | NARENDRA MODI | ARUN JAITLY