नोट बंदी: देश की वृद्धि दर घटी

राकेश दुबे@प्रतिदिन। नोट बंदी के सामने आते परिणामों का अब वैश्विक दृश्य उभरने लगा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के अनुसार 2016-17 में भारत की वृद्धि दर घटकर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। आईएमएफ के अनुसार नोटबंदी से अस्थायी बाधाओं के कारण अर्थव्यवस्था में आए तनाव से भारत की वृद्धि दर 2016-17 में घटकर 6.6 प्रतिशत रहेगी। हालांकि आईएमएफ ने अपनी सलाना रिपोर्ट में कहा है कि अगले कुछ सालों में वृद्धि दर 8 प्रतिशत से अधिक की होगी। वृद्धि के आंकड़ों के अनुमान के साथ कई जरूरी कारक जुड़े हैं, जिनमे वर्षा भी एक है।

आईएमएफ ने कहा है कि 8 नवंबर 2016 के बाद नकदी की कमी और भुगतान दिक्कतों में खपत व व्यापार गतिविधियों को कमतर आंका गया और वृद्धि के क्रम को बनाए रखने के सामने एक नई चुनौती खड़ी हुई। वृद्धि दर 2017-18 में बढ़कर 7.2 प्रतिशत रहना अनुमानित है। आईएम्ऍफ़ ने कहा है कि नकदी की कमी के कारण विशेषकर निजी खपत से फौरी बाधाओं का असर वृद्धि पर पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि नकदी की कमी दूर होगी तो अनुकूल मानसून, तेल की नीची कीमतों व आपूर्ति संबंधी बाधाओं को दूर करने की दिशा में सतत प्रगति से वृद्धि को समर्थन मिलेगा।

आईएमएफ ने कहा कि जीएसटी लागू होने से भारत की जीडीपी वृद्धि मध्यम अवधि में आठ प्रतिशत से अधिक हो सकती है। साथ ही वस्तुओं एवं सेवाओं की आवाजाही की बेहतर तरीके से करने के लिये एकल राष्ट्रीय बाजार सृजित करने में मदद मिलेगी। मुद्राकोष ने कहा कि जीएसटी से उम्मीद की तुलना में अधिक लाभ होगा और आगे और संरचनात्मक सुधारों से वृद्धि को मजबूती मिलेगी।

रिपोर्ट के अनुसार भारत का कर राजस्व-जीडीपी अनुपात (17.5 प्रतिशत) अन्य उभरते बाजारों की तुलना में कम है। जीएसटी के वृद्धि पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव को देखते हुए प्राथमिक आधार पर इसका क्रियान्वयन होना चाहिए। इसमें कहा गया है कि जीएसटी से मौजूदा अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में उल्लेखनीय सुधार होग। साथ ही कर सुधार जारी रहेगा जिसमें कंपनी कर की दर चरणबद्ध तरीके से चार साल में 30 प्रतिशत से 25 प्रतिशत पर लाया जाएगा। जीएसटी ज्यादातर मौजूदा अप्रत्यक्ष कर को समाहित करेगा जिसमें उत्पाद शुल्क, बिक्री और सेवा कर शामिल हैं जिससे चीजें आसान होंगी।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
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rakeshdubeyrsa@gmail.com
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