
भ्रष्टाचार के मामलों में पकड़े जाने वाले सरकारी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई में लेटलतीफी के सवाल पर उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में पकड़े जाने के बाद जब सरकारी अफसरों पर जल्द कार्रवाई नहीं होती तो जनता में इसका गलत संदेश जाता है लेकिन कानूनन उस पर निलंबन, उसके खिलाफ चार्जशीट पेश करने के बाद ही की जाती है। डीजी अनिल कुमार ने सरकारी अफसरों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी मिलने में होने वाली लेटलतीफी को भी इस मामले में जिम्मेदार ठहराया है।
लंबे ट्रायल से आरोपियों को फायदा
डीजी के अनुसार भ्रष्टाचार के मामलों की कोर्ट में लंबे समय तक ट्रायल चलने के कारण ज्यादातर मामलों में गवाह बदल जाते हैं और इसका फायदा आरोपियों को मिलता है। यही वजह है कि आरोपी को सजा मिलने की दर घटती जा रही है।
सर्किट हाउस नं 1 में जनसुनवाई के लिए पहुंचे डीजी अनिल कुमार के पास सिर्फ दो शिकायतें पहुंचीं। नौकरी से संबंधित शिकायत का मामला हाईकोर्ट में चल रहा है, लिहाजा उन्होंने इसमें किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। दूसरी में आरटीआई कार्यकर्ता ने नगर निगम के अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की। जिस पर जांच का आश्वासन दिया गया है।