राष्ट्रीय महिला आयोग भी नहीं करा पाया FIR, आश्वासन के साथ रवाना

भोपाल। राजधानी में नगर निगम अफसर कमर साकिब द्वारा मजदूर महिला मीरा चौरसिया की मारपीट के मामले में मंत्री के बाद अब राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य भी एफआईआर दर्ज कराने में नाकाम साबित हुईं। उन्होंने एफआईआर होने तक उपवास शुरू कर दिया था लेकिन बाद में वो आरोपी अफसर को निलंबित करने का आश्वासन लेकर लौट गईं। निलं​बन आदेश तक जारी नहीं हुए। 

राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य सुषमा साहू ने बताया कि मैंने सुनवाई के दौरान महिला के पति लक्ष्मण की शिकायत पर तुरंत एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे लेकिन शाम को जब उसके पति से पुनः बात की तो उसने अपना स्टेटमेंट बदल दिया। उसने दो तरह की बातें कहीं पहले बोला कि महिला के पेट में लात मारी फिर कहने लगा कि ब्लाउज फाड़ा, कपड़े खींचे। आयोग की सदस्य ने बताया कि यह सुनने के बाद मैंने एफआईआर के मुद्दे पर चुप्पी साध ली। लेकिन मानवीयता के नाते पीड़ित महिला के पुनर्वास के निर्देश दिए हैं।

कमिश्नर ने दिया आश्वासन
उन्होंने जानकारी दी कि नगर निगम कमिश्नर छबि भारद्वाज ने उनसे मिलकर आश्वासन दिया कि आरोपी अधिकारी को निलंबित किया जाएगा। इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराकर रिपोर्ट राष्ट्रीय महिला आयोग को भेजी जाएगी। पुलिस अधीक्षक, एसडीएम सहित अन्य अधिकारियों ने भी उनसे शाम को मुलाकात की थी।

मैंने खाना नहीं खाया...
आयोग सदस्य सुषमा ने कहा कि सुनवाई के दौरान मैंने कसम खाई थी कि एफआईआर दर्ज होने तक खाना नहीं खाउंगी। इसलिए मैंने इस ऐलान के बाद भोपाल में खाना नहीं खाया, दिल्ली पहुंचकर ही अपना भोजन किया।

पति को डांट लगाई...
उन्होंने यह भी बताया कि बयान बदलने के लिए मैंने पीड़ित महिला के पति को डांट भी लगाई। उससे कहा ज्यादा होशियार मत बनो लेकिन महिला के मान सम्मान की खातिर उसका पुनर्वास कराया जाएगा। उसे हर्जाने के रूप में दुकान दिलाई जाएगी।

दोबारा बयान क्यों लिया
बता दें कि इस मामले में सबसे पहले मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने एफआईआर के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल किया था परंतु वो नाकाफी रहा। पुलिस ने पहले मेडिकल और फिर जांच के नाम पर मामला लटकाए रखा। इसी बीच मामला राष्ट्रीय महिला आयोग सदस्य के सामने आ गया। सवाल यह है कि जब एक बार राष्ट्रीय महिला आयोग मामले में आगे बढ़ गया था तो फिर दूसरी बार बयान की जरूरत क्या पड़ी। क्या पहली सुनवाई में उचित सवाल नहीं किए जा सके थे या फिर अफसर की पॉवर के आगे...। 

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