प्रभु, भरोसा दो कि रेल ठीक चलेगी

राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारतीय रेल में बैठने से पहले अब हर आदमी प्रार्थना करने लगा है अपनी कुशलता की। कारण पिछले दो महीनों में भारतीय ट्रेनें 250 से ज्यादा लोगों की जान ले चुकी हैं। पहली दुर्घटना नवंबर में कानपुर के पास हुई, जिसमें डेढ़ सौ लोगों की जान गई। दूसरी फिर कानपुर के ही पास हुई, जिसमें 63 जानें गई। अब तीसरी आंध्र प्रदेश में हुई है, जिसमें 60 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। 

कानपुर की पहली दुर्घटना से कुछ ही घंटे पहले झांसी में यात्रियों ने ट्रेन में गड़बड़ी की सूचना दी थी, लेकिन प्रारंभिक जांच के बाद सब कुछ ठीक घोषित करके उसे रवाना कर दिया गया। दूसरी और तीसरी दुर्घटना में भी समस्या ठीक वही- ट्रेन का पटरी से उतरना- बताई गई है। इस सबके बावजूद ट्रेनों के परिचालन में दिख रही गंभीर गड़बड़ियों को दूर करने के बजाय रेलवे ने जिस तरह इन  रेल हादसों की पक्की पड़ताल के बिना ही इनके पीछे आतंकी-नक्सली हाथ या तोड़फोड़ की आशंका जतानी शुरू की है, वह खासी गंभीर स्थिति की तरफ इशारा करता है। रेलवे के सेफ्टी और सिक्युरिटी डिविजन में करीब डेढ़ लाख पद खाली हैं। रेल सुरक्षा से जुड़ी काकोदकर समिति की रिपोर्ट अभी तक लागू नहीं हो पाई है। इसके लिए डेढ़ लाख करोड़ रुपयों की जरूरत है, जो भारतीय रेलवे की प्राथमिकता में कहीं नहीं है।

इस हेतु बने काकोदकर कमिशन ने रिपोर्ट में साफ कहा था कि सेफ्टी रेगुलेशन के लिए रेलवे में स्वतंत्र मैकेनिज्म बनाया जाना चाहिए। देखना होगा कि दुर्घटना रोकने के इस मुश्किल रास्ते पर चलने के बजाए कहीं आतंकवाद का जिक्र करके इनका निपटारा कर देने का आसान रास्ता तो नहीं अपनाया जा रहा है! भारतीय रेलवे की तुलना इधर जापानी रेलवे से की रही है। दोनों ही लंबे समय से लाखों यात्रियों को मंजिल तक पहुंचा रही हैं।

जब हम अपने यहां जापानी बुलेट ट्रेन शिनकानसेन का मॉडल लाने की बात कर रहे हैं, तो सबसे पहले हमारा ध्यान इस बात पर जाना चाहिए कि वहां  इन ट्रेनों में सफर करते हुए आज तक किसी की जान नहीं गई है। दूसरी तरफ रोजाना सवा दो करोड़ लोगों को सफर कराने वाली भारतीय रेलवे अभी तक कोहरे से ही जूझ रही है। यहां की पटरियों, पुलों और ट्रेनों के साथ क्या हो रहा है, इसका अंदाजा सफर में मारे गए लोगों की तादाद से लगाया जा सकता है। भारतीय रेलवे के लिए अपनी विश्वसनीयता लौटाना अभी की सबसे बड़ी चुनौती है। प्रभु, कुछ सोचिये।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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