
सपा के नेता किरनमय नंदा ने बताया- "गठबंधन हो गया है। 105 सीट पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी। इन सभी सीटों पर सपा अपने कैंडिडेट्स नहीं उतारेगी। हालांकि, अभी गठबंधन का औपचारिक एलान नहीं किया गया है। सपा स्पोक्सपर्सन गौरव भाटिया के मुताबिक, "थोड़ा इंतजार कीजिए। जल्द औपचारिक घोषणा की जाएगी। यह सही है कि गठबंधन करीब-करीब तय है। कांग्रेस की तरफ से ही बातचीत चल रही थी। ताकि मतभेद हल कर लिए जाएं।
गठबंधन को लेकर क्यों थी तनातनी
सूत्रों के मुताबिक, सपा में विवाद के वक्त अखिलेश ने कांग्रेस को 150 सीटें देने का भरोसा दिया था लेकिन सपा और साइकिल मिलने के बाद मजबूरी का हवाला देकर 121 सीटें ऑफर कीं कांग्रेस इस पर राजी हुई तो अखिलेश 100 पर पहुंच गए। अखिलेश ने कहा कि नेताजी के कुछ लोग एडजस्ट करने हैं। कुछ पुराने और आजम खान जैसे नेताओं से सीटों की मांग आ गई है। ऐसे में वह 100 से ज्यादा सीटें नहीं दे पाएंगे। उधर, कांग्रेस अमेठी और रायबरेली में भी अपने उम्मीदवार उतारना चाहती है।
अपने गढ़ में कांग्रेस चाहती थी सीटें
सोर्सेज की मानें तो कांग्रेस अपना गढ़ रहे अमेठी, रायबरेली और सुल्तानपुर जिलों की 15 सीट मांग रही थी। 2012 में इन तीन जिलों में 15 सीटों पर 12 पर सपा ने जीत दर्ज की थी और कांग्रेस को 2 सीट और पीस पार्टी को 1 सीट मिली थी।
5 सीटों का अखिलेश ने और दिया था ऑफर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस गठबंधन को बचाने के लिए प्रियंका गांधी ने अपने भरोसेमंद धीरज को 20 जनवरी की देर रात दिल्ली से लखनऊ भेजा था। धीरज लखनऊ के एक होटल में रुके थे। वह यहां सिर्फ अखिलेश यादव से मिलने आए थे। अखिलेश ने शनिवार दोपहर धीरज से बात की। इसके बाद दिल्ली में गठबंधन को लेकर राहुल और सोनिया ने यूपी के नेताओं के साथ बैठक की।