भोपाल। वनविभाग में हुए 40 उप वनसंरक्षक (एसीएफ) के तबादलों के मामला मामला अब सुर्खियां बन रहा है। कुछ अधिकारियों के मनमानी पोस्टिंग देने के लिए ऐसे अधिकारियों को भी हटा दिया गया जो अच्छा काम कर रहे थे। विवाद विभाग और मंत्रालय के बीच शुरू हुआ है। अपर मुख्य सचिव दीपक खांडेकर आरोपों की जद में आ गए हैं। गलत तरीके से तबादला करने की शिकायतों के चलते ये सूची पहले से विवादित है। एसीएस ने इसे साढ़े तीन माह रोके रखा।
शासन ने पांच दिन पहले ये सूची जारी की है। वन मुख्यालय और मैदानी अफसर इससे खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि काम करने वालों को हटा दिया गया है। ऐसे में फील्ड में दिक्कतें बढ़ जाएंगी। कुछ एसीएफ का तबादला रुकवाने के लिए पीसीसीएफ के लौटने का इंतजार हो रहा है।
ताकि एसीएफ के हटने से फील्ड में होने वाली दिक्कतों को पहले ही वरिष्ठ अफसरों को बता दिया जाए। अफसरों का यह भी कहना है कि ऐसे एसीएफ को पार्कों में भेज दिया गया है, जिन्हें वाइल्ड लाइफ का अनुभव ही नहीं है। ज्ञात हो कि पीसीसीएफ रवि श्रीवास्तव और जितेंद्र अग्रवाल इन दिनों प्रदेश से बाहर हैं।
दो सूचियां बनी थीं
वन विभाग ने अगस्त में तबादले के लिए एसीएफ की दो सूचियां बनाई थीं। पहली में 34 नाम थे, जो डेढ़ माह पहले जारी हो गई, जबकि दूसरी सूची को शिकायतों के चलते रोक दिया था, जो हाल ही में जारी हुई है। सूत्र बताते हैं कि चहेतों को फील्ड में पदस्थ करने के लिए जगह बनाई जाना थी।
इसलिए प्रशासनिक आधार पर ऐसे एसीएफ के तबादले किए गए हैं, जिन्हें एक से डेढ़ साल पहले ही पदस्थ किया गया था। हालांकि नियम अनुसार प्रशासनिक आधार पर उन अफसर और कर्मचारियों को हटाया जाता है, जिसने एक ही स्थान पर तीन साल पूरे कर लिए हों या जिनकी शिकायतें हों। नई सूची में शामिल ज्यादातर अफसर दोनों शर्त पूरी नहीं करते हैं।
अनुभवहीनों को पार्क भेजा
ऐसे अफसरों को टाइगर रिजर्व भेज दिया, जिन्हें वाइल्ड लाइफ का अनुभव नहीं है। करेरा के एसीएफ एमएस श्रीवास्तव को कान्हा टाइगर रिजर्व, चिड़िखोह के ओपी पटेल को कान्हा भेजने का प्रस्ताव था और पेंच टाइगर रिजर्व भेज दिया। केन-घड़ियाल अभयारण्य के एमके सिंह को शिवपुरी भेजकर अभयारण्य में जगह खाली कर ली।