
एमजीआर ने जब गोद में उठा लिया
'अम्मा जर्नी फ्राम मूवी स्टार टु पॉलिटिकल क्वीन' लिखने वाली वासंती के मुताबिक, एमजीआर का जयललिता के प्रति शुरू से सॉफ्ट कॉर्नर था। एक बार थार के रेगिस्तान में शूटिंग हो रही थी। जयललिता के पैर में फुटवेयर नहीं था। गर्म रेत पर वे चल नहीं पा रही थीं। तभी एमजीआर ने उन्हें गोद में उठा लिया
MGR की एक झलक के लिए भटकती रहीं
एमजीआर का परिवार जयललिता से नफरत करता था। 1987 में एमजीआर की मौत हुई तो उनके परिवार वालों ने जयललिता को घर में नहीं घुसने दिया। वे दौड़कर जिस दरवाजे से अंदर जाने की कोशिश करतीं वही बंद कर दिया जाता। एमजीआर की बॉडी राजाजी हॉल (जय ललिता का पार्थिक शरीर भी यहीं रखा गया) ले जाई गई थी। जयललिता वहां पहुंचीं और किसी तरह उनके सिरहाने तक पहुंचने में कामयाब हो गईं।
वासंती के मुताबिक, जयललिता वहां दो दिन खड़ी रहीं। इस दौरान एमजीआर के करीबियों ने जयललिता को बहुत तंग किया, ताकि वहां से चली जाएं। उन्हें चिकोटी तक काटी गई। लेकिन वे टस से मस नहीं हुईं। एमजीआर की अंतिम यात्रा में उन पर एमजीआर की पत्नी जानकी रामचंद्रन के भतीजे ने हमला कर दिया। इसके बाद जयललिता ने तय किया कि वे अंतिम यात्रा में आगे नहीं जाएंगी।
मजबूरी में आईं फिल्मों में
जयललिता ने सिर्फ 13 साल की उम्र में फिल्म में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम करना शुरू किया। उनकी पहले फिल्म इंग्लिश में बनी "एपिसल' थी। जयललिता 2 साल की थीं तभी पिता की मौत हो गई। इसके बाद उनके परिवार का स्ट्रगल शुरू हुआ। उनकी मां वेदवल्ली ने नाम बदलकर संध्या रख लिया और तमिल फिल्मों में काम करने लगीं। जयललिता अपनी मौसी और नाना-नानी के पास बेंगलुरु में रहकर पढ़ाई करने लगीं। मौसी की शादी के बाद वे वापस अपनी मां के पास चेन्नई आ गईं। जयललिता पढ़ाई में बहुत अच्छी थीं। मैट्रिक में उनकी तमिलनाडु में सेकंड रैंक आई थी। इसके बावजूद उनकी मां उनसे फिल्मों में काम कराना चाहती थीं।
अपनी ही पहली फिल्म देखने की इजाजत नहीं मिली
जयललिता ने 16 साल की उम्र में वेन्नीरा अदाई (सफेद लिबास) नाम की तमिल फिल्म में काम किया। इस फिल्म में उन्होंने विधवा का किरदार निभाया था। फिल्म को "ए' सर्टिफिकेट मिला था और 18 साल से कम उम्र की होने के कारण उस समय खुद जयललिता टॉकीज में यह फिल्म नहीं देख पाई थीं।
धर्मेंद के साथ आई थी "इज्जत' फिल्म
जयललिता ने उस दौर में साउथ के लगभग सभी सुपरस्टार जैसे- शिवाजी गणेशन, राज कुमार, एनटी रामाराव के साथ फिल्में की थीं। उनकी सबसे हिट जोड़ी एमजीआर के साथ रही। दोनों की उम्र में 31 साल का अंतर था। 1965 से 1972 के बीच उन्होंने ज्यादातर फिल्में एमजीआर के ही साथ की थीं। जयललिता ने दौर के हिसाब से काफी बोल्ड सीन दिए थे। वे स्कर्ट पहनने वाली पहली तमिल स्टार थीं। उन्होंने सिर्फ बॉलीवुड फिल्म "इज्जत' धर्मेंद्र के साथ काम किया था।
MGR ही लाए राजनीति में
एमजीआर ने डीएमके से अलग होकर 1972 में एआईएडीएमके पार्टी बनाई और 5 साल बाद ही सीएम भी बन गए। 1982 में वे ऑल इंडिया द्रविड़ मुन्नेत्र कझगम (AIADMK) की पार्टी मंेबर बनीं। तब उनकी उम्र 34 साल थी। 1983 में उन्हें पार्टी की प्रोपोगेंडा सेक्रेटरी बनाया गया। AIADMK के कैम्पेन का जिम्मा सौंपा गया। 1984 में एमजीआर ने उन्हें राज्यसभा भेजा। 1989 तक वे सांसद रहीं। 1987 में एमजीआर की मौत के बाद पार्टी दो हिस्सों में बंट गई। जयललिता से नफरत करने वालों ने एमजीआर की वाइफ ‘जानकी’ को सीएम बनवा दिया लेकिन 1989 के चुनाव में पार्टी की हार हुई और विरोधियों को मजबूरी में उन्हें अपोजिशन लीडर बनाना पड़ा।
- 1991 के चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने वाली जयललिता की पार्टी को बहुमत मिला। वह पहली बार तमिलनाडु की सीएम बनीं।
सहेली पर लगा जहर देने का आरोप
शशिकला फिल्मों में आना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने 80 के दशक में जयललिता से नजदीकियां बढ़ाईं। बाद में दोनों में गहरी दोस्ती हो गई। यह जयललिता के पॉलिटिकल करियर शुरू होने तक बनी रही। एमजीआर की मौत के बाद 1991 में जयललिता की जबर्दस्त जीत हुई। इसमें फंड से लेकर कैम्पेन तक की जिम्मेदारी शशिकला ने ही उठाई। 1996 तक जयललिता के सभी पॉलिटिकल फैसले शशिकला ही करती थीं। शशिकला के भतीजे वीएन सुधाकरन को जयललिता ने अपना बेटा माना। सुधाकरन की शादी पर जयललिता ने 100 करोड़ रुपए खर्च किए। इस शादी के बाद AIADMK अपोजिशन के निशाने पर आ गई। अगले चुनाव में जयललिता को एक भी सीट नहीं मिली। इससे घबराई जयललिता ने शशिकला से दूरियां बना लीं। शशिकला पर जयललिता काे स्लो प्वॉइजन देने तक का आरोप लगा है। हालांकि, जयललिता ने उन्हें कई बार माफ किया।
6 बार बनी सीएम
1991 में पहली बार सीएम बनीं। 2001 में वो फिर से सीएम बनीं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति अवैध घोषित कर दी। उन्हें मजबूरी में अपने भरोसेमंद मंत्री ओ. पन्नीसेल्वम को सीएम बनाना पड़ा। मद्रास हाइकोर्ट से राहत मिलने के बाद 2002 में वो फिर से सीएम बनीं। 2011 में वो चौथी बार मुख्यमंत्री बनीं। 2014 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में जेल जाना पड़ा और सीएम पद छोड़ना पड़ा। लेकिन 2015 में आरोपों से बरी होकर वो पांचवी बार सीएम बनीं। मई 2016 में वे छठी बार सीएम बनीं।
पल्लू गिरा तो खुद से किया वादा
25 जनवरी 1989 को तमिलनाडु विधानसभा में बजट पेश किया जा रहा था। करुणानिधि बजट भाषण पढ़ रहे थे। इस दौरान अपोजिशन लीडर जयललिता ने शिकायत की कि उनके फोन टैप किए जा रहे हैं। स्पीकर ने इस पर बहस की इजाजत नहीं दी तो जयललिता के सपोर्टर भड़क गए। जयललिता सदन से बाहर निकलीं तो डीएमके के एक मेंबर ने उनकी साड़ी खीचीं। उनका पल्लू गिर गया। वे खुद भी गिर गईं। तब जयललिता ने ठान लिया कि वे विधानसभा में तभी आएंगी जब वह महिला के लिए सेफ हो जाएगी। बाद में वे विधानसभा में सीएम ही बनकर लौटीं।
14 साल तक नहीं पहना गहना
1997 में तमिलनाडु की डीएमके सरकार के दौरान जयललिता के सभी गहने जब्त कर लिए गए थे। इसके बाद उन्होंने अगले 14 साल कोई गहना नहीं पहना। 2011 में उन्होंने पार्टी वर्कर्स के कहने पर दोबारा गहने पहनना शुरू किया। वे अपने वर्कर्स को निराश नहीं करना चाहती थीं।
11 अम्मो से बन गईं अम्मा
जयललिता को उनकी मां बचपन में अम्मो कहा करती थीं। 1991 में जब उनकी जबर्दस्त जीत हुई तब तो उनके प्रशंसक उन्हें अम्मा यानी सबका ख्याल रखने वाली कहने लगे।